न्यूज डेस्क
अक्सर जनता को शिकायत रहती है कि थानों में चोरी, मोबाइल खोने या लूट समेत अन्य मामलों की एफआइआर पुलिस दर्ज नहीं करती। साइबर जालसाजी के मामलों में थाने से टरका दिया जाते हैं। सत्यापन के लिए अलग-अलग कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। लेकिन अब इन सभी समस्याओं का समाधान यूपी पुलिस ने निकाल लिया है।
चोरी, लूट, साइबर जालसाजी जैसी घटनाओं समेत अन्य मामलों में एफआईआर न दर्ज होने पर पुलिस थानों का चक्कर लगाने की भी जरूरत नहीं है। अब यूप पुलिस के मोबाइल एप्लीकेशन ‘यूपी कॉप एप’ के माध्यम से अज्ञात के खिलाफ ई-एफआईआर दर्ज कराई जा सकेगी।
आशुतोष पांडेय ने किया तैयार
एप को तैयार करने वाले एडीजी (तकनीकी सेवा) आशुतोष पांडेय ने बताया कि इन मामलों में पीड़ित को थानों के चक्कर लगाने होते हैं और समय से एफआईआर दर्ज न होने पर भारी नुकसान उठाना पड़ता है। आम नगरिकों की सहूलियत और पुलिस का बोझ कम करने के लिए इस प्रकार का एप्स तैयार किया गया है।
27 जनोपयोगी सुविधाएं हासिल होंगी
इस एप के जरिए पुलिस से संबंधित कुल 27 जनोपयोगी सुविधाएं हासिल करने के लिए लोगों को थानों के चक्कर नहीं लगाने होंगे। नौकरों का सत्यापन, चरित्र प्रमाणपत्र के लिए आवेदन व सत्यापन, धरना-प्रदर्शन, समारोह और फिल्म शूटिंग के लिए अनुमति भी इस एप पर मिल सकेगी। जो दस्तावेज जिलाधिकारी के यहां से जारी होते हैं, उसके लिए एप को ई-डिस्ट्रिक्ट पोर्टल से जोड़ा गया है।
यूपी कॉप सर्च करें
इस एप्लीकेशन को डाउनलोड करने के लिए एंड्रॉयड फोन के प्ले स्टोर में जाकर यूपी कॉप सर्च करना होगा। डाउनलोड होने के बाद एप पर शिकायतकर्ता को अपना पंजीकरण कराना होगा। इससे उसकी अपनी खुद की आईडी बन जाएगी। आईडी बनाने के लिए पीड़ित को अपना नाम मोबाइल नंबर भी अपडेट करना होगा। आईडी बनने के बाद इसे लागिन किया जा सकता है।
हर तरह के आकांड़े उपलब्ध
इस एप के माध्यम से एक आम नागरिक भी बीते 24 घंटे में किसी जिले या थानाक्षेत्र में हुई गिरफ्तारी का विवरण देख सकता है। साथ ही बीते 24 घंटे में दर्ज साइबर अपराध से संबंधित अंतिम 10 एफआईआर भी देखी जा सकती है, ताकि पता चल सके कि साइबर क्राइम से संबंधित किस तरह के मामले सामने आ रहे हैं। वहीं, इनामी बदमाशों, जिला बदर अपराधियों और गुंडा एक्ट के मामलों की सूची भी एप पर उपलब्ध है।
‘कॉल अस बटन’
साथ ही थाने, क्षेत्राधिकारी या पुलिस अधीक्षक के मोबाइल नंबर भी इस एप के ‘कॉल अस बटन’ पर उपलब्ध हैं। अगर आप लांग ड्राइव पर हैं तो यह एप दुर्घटना बहुल क्षेत्र के बारे में भी जानकारी देगा। इसके अलावा किसी तरह की सूचना पुलिस से साझा करने का विकल्प भी इस एप पर है, जहां आपकी पहचान को गोपनीय रखा जाएगा।
ई-सुरक्षा के लिए पूरी गाइडलाइन
इस एप पर ई-सुरक्षा के लिए पूरी गाइडलाइन भी उपलब्ध होगी। इसमें एटीएम कार्ड, वन टाइम पासवर्ड, फर्जी फोन कॉल के जरिए होने वाले फ्रॉड को लेकर किस तरह सचेत रहें, यह बताया गया है। एटीएम बूथ में किस तरह की सावधानी बरती जाए, एटीएम से पेमेंट करते समय खास सावधानी बरतने समेत 26 तरह से होने वाले साइबर अपराधों से बचाव के बारे में बताया गया है। एप पर आरबीआई की गाइडलाइन भी दी गई है, जिसमें सेफ डिजिटल बैंकिंग और उपभोक्ता की जिम्मेदारी बताई गई है।
एप पर कर सकते हैं ये शिकायतें
वाहन चोरी, सामान्य चोरी, वाहन लूट, नाबालिग बच्चों की गुमशुदगी, मोबाइल/पर्स/चेन स्नेचिंग एवं साइबर अपराध की शिकायत दर्ज करा सकते हैं। एप की ओर से आपके फोन पर मैसेज के माध्यम से एफआइआर दर्ज होने से लेकर चार्ज शीट एवं फाइनल रिपोर्ट तक की जानकारी भेजी जाएगी।
एप के फायदें
- यूपी कॉप एप से सभी प्रकार के सत्यापन कराए जा सकते हैं। इसमें ऑनलाइन पेमेंट की भी सुविधा है। 15 दिन के भीतर प्रमाण पत्र भी आपको ऑनलाइन ही मिल जाएगा।
- यूपी कॉप एप पर अज्ञात के खिलाफ एफआइआर दर्ज होती है। एप के जरिये नामजद रिपोर्ट दर्ज नहीं होती। आप संबंधित थाने में इसकी रिपोर्ट दर्ज कराएं।
- गूगल प्ले स्टोर में जाकर आप अंग्रेजी में यूपी सीओपी टाइप करें। इसे डाउनलोड कर लॉग इन करें। इसके बाद ई-एफआइआर के विकल्प में जाकर अपनी शिकायत दर्ज कराएं। आपको थानों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
- एप से साइबर जालसाजों की ई-एफआइआर दर्ज कराने के बाद रिपोर्ट की कॉपी आपके ई-मेल पर भी आ जाएगी। एफआइआर की कॉपी बैंक में दीजिए। यूपी कॉप एप रुपये वापस कराने में आपकी मदद करेगी।