Friday - 8 November 2024 - 7:32 PM

UP: उपचुनाव से BJP की B-टीम होने का टैग हटा पाएंगी BSP ?

जुबिली स्पेशल डेस्क

बहुजन समाज पार्टी (BSP) की अध्यक्ष मायावती पर पिछले कुछ वर्षों से भारतीय जनता पार्टी (BJP) की “बी-टीम” होने का आरोप लगता रहा है।

यह टैग BSP की राजनीतिक रणनीतियों और फैसलों के कारण उभरा है, जैसे कि उत्तर प्रदेश के चुनावों में BJP का स्पष्ट रूप से विरोध नहीं करना, और विपक्ष के गठबंधन का हिस्सा बनने से बचना। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या मायावती इस छवि को बदल पाएंगी और BSP को फिर से एक मजबूत स्वतंत्र राजनीतिक ताकत के रूप में स्थापित कर सकेंगी?

लोकसभा चुनाव में शून्य पर सिमटने वाली बसपा प्रमुख मायावती के सामने उपचुनाव में खाता खोलने की ही चुनौती नहीं है बल्कि 14 साल के बाद उपचुनाव में जीत हासिल करने की चुनौती है।

क्यों लगा “बी-टीम” का टैग?

  1. विपक्ष के गठबंधनों से दूरी: 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से मायावती ने विपक्षी गठबंधन में शामिल होने से दूरी बनाए रखी है। 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने विपक्षी दलों के साथ कोई गठबंधन नहीं किया। इससे विपक्षी समर्थकों में यह धारणा बनी कि BSP अप्रत्यक्ष रूप से BJP की मदद कर रही है।
  2. विधानसभा और लोकसभा चुनावों में निष्क्रियता: पिछले कुछ चुनावों में BSP की निष्क्रियता और कमजोर प्रचार अभियान भी इस धारणा को मजबूत करते हैं। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में BSP का प्रदर्शन बहुत कमजोर रहा, जिससे पार्टी की स्वतंत्र राजनीतिक ताकत पर सवाल उठे।
  3. BJP की आलोचना से बचना: मायावती ने अक्सर BJP की कट्टर आलोचना से परहेज किया है, जबकि विपक्षी नेता लगातार BJP और केंद्र सरकार पर हमले करते रहे हैं। उनकी नरम रुख वाली रणनीति ने कई समर्थकों को निराश किया और “बी-टीम” के टैग को और भी मजबूत किया।

क्या मायावती इस छवि को बदल सकती हैं?

BSP की राजनीति को पुनर्जीवित करने और “बी-टीम” के टैग को हटाने के लिए मायावती को कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे:

  1. स्वतंत्र विपक्षी रणनीति: मायावती को BJP के खिलाफ स्पष्ट और सशक्त विपक्षी रुख अपनाना होगा। उन्हें पार्टी की विचारधारा को फिर से मजबूत करते हुए गरीब, दलित, और पिछड़े वर्गों की समस्याओं को प्रमुखता से उठाना होगा।
  2. विरोध प्रदर्शनों में सक्रियता: विपक्ष की भूमिका निभाते हुए सड़क पर उतरना और जनता के मुद्दों पर विरोध प्रदर्शन करना पार्टी की सशक्त छवि बनाएगा। इससे पार्टी का जनाधार भी मजबूत होगा और समर्थकों में विश्वास लौटेगा।
  3. युवा नेतृत्व और जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करना: पार्टी में नए और युवा नेताओं को मौका देकर संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने की जरूरत है। इससे जनता के बीच पार्टी की पकड़ मजबूत होगी और एक स्वतंत्र राजनीतिक ताकत के रूप में BSP उभर सकती है।
  4. गठबंधन की रणनीति में बदलाव: मायावती को भविष्य में होने वाले चुनावों में सही राजनीतिक सहयोगियों के साथ गठबंधन पर विचार करना चाहिए, जिससे पार्टी की सशक्त छवि बन सके और उसे BJP समर्थक पार्टी के रूप में देखने की धारणा कमजोर हो।

मायावती और BSP के सामने एक बड़ी चुनौती है कि वह “बी-टीम” के टैग को हटाकर अपनी स्वतंत्र राजनीतिक पहचान वापस पा सकें। यह केवल जनता के मुद्दों पर उनकी सक्रियता, और पार्टी की विचारधारा के प्रति दृढ़ता से ही संभव हो सकेगा। ऐसे में आने वाले चुनाव मायावती और BSP के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं, जो यह तय करेंगे कि वह अपनी खोई हुई सशक्त पहचान को फिर से स्थापित कर पाते हैं या नहीं।

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