जुबिली न्यूज डेस्क
कोरोना के नये स्ट्रेन से यूरोप में कोहराम मचा हुआ है और इसका असर दुनिया के अन्य देशों में भी दिखाई दे रहा है। कोरोना के नये स्ट्रेन का शेयर बाजार, निर्यात और आयात सब पर गहरा असर दिखने लगा है।
ब्रिटेन में कोरोना का नया स्ट्रेन सामने आते ही शेयर बाजार को तगड़ा झटका लगा। सिर्फ उत्तर प्रदेश के निवेशकों के कम से कम 10,000 करोड़ रुपए डूब गए। अकेले कानपुर के निवेशकों को 6700 करोड़ रुपए का झटका लगा है।
हालांकि बाद में बाजार कुछ संभला लेकिन जेब से निकली रकम की वापसी नही हो सकी। इसके अलावा इसका निर्यात और आयात दोनों पर असर पड़ा है।
सोमवार को शेयर बाजार के 6.7 लाख करोड़ रुपए डूबे थे। बीएसई में कानपुर की हिस्सेदारी .98 प्रतिशत से 1 प्रतिशत तक है। कानपुर में चार घंटे के अंदर 6700 करोड़ रुपए के झटके से 1.18 लाख निवेशक उबर नहीं पाए।
बीते शुक्रवार को 47000 का सेंसेक्स ने इतिहास रचा था। इस एक दिन में बाजार में 500 करोड़ रुपए लग गए थे। सबसे ज्यादा झटका 7500 नए ग्राहकों को लगा है, जिन्होंने 35 करोड़ एक हफ्ते में लगाए थे।
इंजीनियरिंग सेक्टर को तगड़ा झटका
कानपुर की लेदर उद्योग पहले ही कोरोना महामारी से हलकान थी। अब यहां के इंजीनियरिंग और प्लास्टिक सेक्टर को कोरोना ने तगड़ी चोट दी है। कानपुर से सालाना 16 हजार करोड़ से ज्यादा का निर्यात होता है, जिसमें 5 हजार करोड़ की हिस्सेदारी इंजीनियरिंग और प्लास्टिक गुड्स की है।
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चर्म निर्यात परिषद के रीजनल चेयरमैन जावेद इकबाल कहते हैं कोरोना के नए स्ट्रेन ने लेदर इंडस्ट्री की उम्मीदों को धराशायी कर दिया है। हमारा सबसे बड़ा ग्राहक यूरोप है और वहीं पर सबसे ज्यादा कहर बरना रखा है। एडवांस आर्डर भी हाथ से निकल जाएंगे।
यूरोप में बड़ी संख्या में कृषि से संबंधित मशीनों व पार्ट्स का निर्यात होता है। शुरुआत मार्च से हो जाती है। इस साल मार्च में लॉकडाउन के कारण पूरा बिजनेस तहस-नहस हो गया था। अब हालात कुछ बेहतर हो रहे थे कि नए स्ट्रेन ने यूरोप में कहर बरपा दिया। निर्यातकों की नींद उड़ गई है।
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कम से कम 500 करोड़ के एडवांस ऑर्डर होल्ड पर चले गए हैं। 700 करोड़ का पिछला भुगतान भी फंसा है। लेदर इंडस्ट्री के हाथ से यूरोप का समर फैशन कलेक्शन भी चला गया।
कानपुर चैप्टर आईआईए के चेयरमैन जय हेमराजानी कहते हैं कि लास्टिक और इंजीनियरिंग गुड्स का कानपुर बड़ा निर्यातक है। यूरोप के कई देशों में मशीनों, एग्री पार्ट्स आदि का निर्यात होता है लेकिन नए स्ट्रेन से न केवल पिछला भुगतान फंस गया गया है बल्कि एडवांस ऑर्डर भी खटाई में पड़ गए हैं।