Sunday - 17 November 2024 - 4:29 AM

…तो इस शख्स की वजह से शिवपाल की नहीं हो पा रही है सपा में इंट्री

स्पेशल डेस्क

लखनऊ। शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच रिश्ता भले ही खराब हो चुका हो लेकिन कुछ लोग आज भी सपा में शिवपाल को देखना चाहते हैं। मुलायम एक बार नहीं कई बार शिवपाल को दोबारा सपा कुनबे में शामिल करना चाहते हैं लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है।

इतना ही नहीं अखिलेश ने अपने चाचा को समाजवादी कुनबे से हमेशा के लिए बेदखल करते हुए दल-बदल कानून के तहत उनकी सदस्यता निरस्त करने के लिए याचिका दे डाली है। उधर शिवपाल यादव ने कह दिया है कि अगर ऐसा हुआ तो वह दोबारा चुनाव लड़कर फिर जीतकर विधानसभा पहुंचेंगे। ऐसे में अब साफ हो गया है कि चाचा और भतीजे में अब कोई सुलह की उम्मीद नजर नहीं आ रही है।

कुल मिलाकर अखिलेश-शिवपाल में तीन साल की चली आ रही रार का अब और बुरा हुआ अंत हो गया है। शिवपाल और अखिलेश के रिश्ते में कल यानी शुक्रवार को नया मोड तब आ गया जब अखिलेश ने एक बार फिर संकेत दिया कि चाचा शिवपाल चाहे तो दोबारा सपा कुनबे में आ सकते हैं।

दरअसल कल अखिलेश ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि हमारे परिवार में लोकतंत्र है। जो लोग हम पर आरोप लगाते हैं, उनके लिए मैं कहना चाहता हूं कि हमारे घर में लोकतंत्र है, जो भी जहां जाना चाहता है, वह जा सकता है।

किसी को कोई रोक नहीं है। इसके साथ ही अखिलेश ने यह भी कहा कि अगर कोई उनकी पार्टी में आना चाहता है तो दरवाजा खुला है। शिवपाल के मुद्दे पर अखिलेश ने भले ही खुलकर नहीं कहा हो लेकिन उन्होंने एक बात साफ कर दी है कि उनकी पार्टी में कोई भी वापसी कर सकता है।

इससे जाहिर हो गया है कि वह अब भी शिवपाल यादव को अपनी तरफ लेना चाहते हैं। उधर शिवपाल यादव ने इस मुदद्े पर खुलकर जवाब दिया है कि मेरी तरफ से पूरी गुंजाइश है, लेकिन कुछ षड्यंत्रकारी (साजिशकर्ता) लोग परिवार को एक होने नहीं देना चाह रहे हैं।

शिवपाल आखिर किसकी तरफ इशारा कर रहे थे। जानकारों की मानें तो उनका इशारा शायद रामगोपाल यादव की ओर था। बता दें कि शिवपाल यादव और रामगोपाल यादव के बीच अहम की लड़ाई आज से नहीं बल्कि अरसे से है। दोनों के बीच रार चरम पर पहुंच गई थी, जब शिवपाल ने 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले रामगोपाल यादव का नाम लेकर कहा था कि उनकी वजह से सपा कुनबा एक नहीं हो पा रहा है। यानी इस बार उनका इशारा राम गोपाल यादव की ओर हो सकता है।

Radio_Prabhat
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