सैय्यद मोहम्मद अब्बास
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार है। इससे पहले यहां पर सपा की सरकार हुआ करती थी। उस समय विपक्ष में बैठी बीजेपी अखिलेश सरकार को कानून व्यवस्था को लेकर घेरती थी। इतना ही नहीं यूपी में खाकी को लेकर भी सवाल उठाया जाता था। हालांकि अखिलेश सत्ता से बेदखल हो गए।
चुनाव में बीजेपी ने प्रचंड बहुमत हासिल कर सत्ता हासिल की। बीजेपी ने सबको चौंकाते हुए योगी को सीएम की गद्दी पर बैठा दिया। सत्ता पर काबिज होते ही योगी ने बड़े-बड़े दावे करने शुरू कर दिए और रामराज स्थापित करने की बात कही थी।
इतना ही नहीं योगी ने 20 मार्च 2017 को यूपी की कमान संभाली थी और कहा था कि अपराधी या यूपी छोड़ दें या फिर अपराध छोड़ दें। उन्होंने कहा था कि विधानसभा में कहा कि अपराधी खुद तय कर लें कि उनका भविष्य क्या होगा।
सीएम ने कहा था कि अपराध और अपराधियों को संरक्षण देने वाले तत्वों से सरकार निर्ममता से निपटेगी। हालांकि योगी इस तरह के बयान से सूबे जनता भी राहत की सांस ले रही थी चलो नया सीएम यूपी से अपराध को खत्म कर देगा।
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योगी के इस बयान का असर शुरू में देखने को मिला। अपराधियों की धड़पकड़ के लिए यूपी पुलिस ने कमर कस ली। पुलिसिया तंत्र भी मजबूत होता हुआ दिखा भी लेकिन मौजूदा हालात में यही पुलिसिया तंत्र योगी सरकार के लिए गले ही हड्डी भी बनता दिख रहा है। दरअसल खाकी का खौफनाक चेहरा भी योगी राज में देखने को मिल रहा है। एनकाउंटर के नाम पर कब किसको उड़ा दिया जाएगा ये किसी को पता नहीं है।
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आलम तो यह है कि खाकी से आम इंसानों को डर लगने लगा। आम नागरिकों के साथ पुलिस का बर्ताव और विश्वास उठता नजर आ रहा है। लोग खाकी के नाम से घबराते हैं।
हालांकि खाकी भी सरकार के इशारों पर नाचती है ये बात भी किसी से छुपी नहीं है। हाथरस गैंग रेप में पुलिस का बर्ताव किसी से छुपा नहीं है। वर्दी का धौंस दिखाकर मीडिया तक को धमकाया गया। आलम तो यह है कि खाकी इतनी कमजोर हो चुकी है कि अपराधी भी अब खुलेआम चुनौती दे रहे हैं।
वरिष्ठ पत्रकार विवेक श्रीवास्तव बताते हैं कि हाल के दिनों पर पुलिस पर सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि सरकार ने इन्हें पूरी तरह से छूट दे रखी है। इसका नतीजा यह रहा कि मातहत पुलिसकर्मी अपनी मनमानी पर उतारू हो गए हैं। आलम तो यह है कि ये पुलिसकर्मी अपने आधिकारियों की भी नहीं सुनते हैं। इतना ही नहीं पुलिस पर राजनीति दबाव और हस्ताक्षेप भी बढ़ गया है। इस वजह से खाकी ठीक से काम नहीं कर पा रही है।
योगी राज में क्या है एनकाउंटर का आंकड़ा
योगी राज पर थोड़ा सा गौर करे तो अब तक 6,200 से ज्यादा एनकाउंटर होने की बात सामने आ रही है। इस दौरान 14 हजार से ज्यादा अपराधियों को पकड़ा भी गया है। एक आंकड़े के अनुसार 2,300 से अधिक अभियुक्त और 900 से अधिक पुलिसकर्मी घायल भी कही जा रही है। हालांकि एनकांउडर में 124 अपराधी के मारे जाने की बात भी कही जा रही है।
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जातिवार इन अपराधियों पर गौर किया जाये तो 47 अल्पसंख्यक, 11 ब्राह्मण, 8 यादव और शेष 58 अपराधियों में ठाकुर, पिछड़ी और अनसूचित जाति/जनजाति के अपराधी शामिल हैं।
योगी सरकार के लिए अब खाकी ही परेशानी पैदा कर रही है। रामराज की स्थापना करने की बात करने वाले योगी के लिए अब कानून व्यवस्था ही सबसे बड़ी चुनौती बनकर सामने आया है। पुलिसियां तंत्र नाकाम होने की वजह से योगी सरकार भी सवालों के घेरे में है। इतना ही नहीं अपराधियों को अब खाकी का रत्ती भर भी खौफ नहीं रह गया है। हत्या, लूट, रेप व चोरी जैसी घटनाएं लगातार उत्तर प्रदेश में बढ़ रही हैं।
कानून व्यवस्था पर ऐसे लग रहा है ग्रहण
बीते दिसम्बर पर नागरिकता संशोधन बिल (सीएए) के विरोध के चलते प्रदेश की कानून व्यवस्था एकदम से लचर होती हुई नजर आई। इसके बाद तो अपराध का ग्राफ भी एकाएक बढ़ता दिखा। कानपुर के बिकरू कांड के बाद लैब टेक्नीशियन की अपरहण व हत्या तथा गाजियाबाद में पत्रकार की हत्या ने सीएम योगी को टेंशन में ला दिया है।
इस दौरान बेलगाम होता अपराध और पुलिस की नाकामी योगी सरकार के लिए लगातार परेशानी का सबब बनती दिख रही है। हालात अगर नहीं सुधरे तो विधान सभा चुनाव में योगी सरकार को बोरिया बिस्तर बंध जाये तो यह भी कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।
उधर विपक्ष भी योगी सरकार को कानून-व्यवस्था को लेकर अपने निशाने पर लेती दिख रही है और चुनाव में भी इसका इसे जोर-शोर से उठाया जा सकता है।