Monday - 28 October 2024 - 6:48 PM

प्रियंका के दांव पर बसपा में छटपटाहट !

स्पेशल डेस्क

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार है लेकिन यहां पर सपा-बसपा की राजनीति सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहती है। इतना ही नहीं दोनों दलों की बात की जाये तो ऐसा दावा किया जाता है कि सूबे में अगली सरकार उनकी बनेगी। हालांकि मौजूदा समय में दोनों दल अपनी साख को बचाने में लगे हैं।

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लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा एक साथ आये थे लेकिन कोई खास चमत्कार नहीं कर सके। मोदी लहर में दोनों पार्टियों की उम्मीदों को तगड़ा झटका लगा। दूसरी ओर कांग्रेस अब यूपी में कोई खास कमाल नहीं कर सकी। हालांकि एक दौर था जब कांग्रेस का सिक्का यूपी में चलता था लेकिन बाद के दौर में कांग्रेस यहां से खत्म होती चली गई।

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सपा-बसपा जैसे दलों ने कांग्रेस को यहां से खत्म कर दिया। लोकसभा चुनाव हो या फिर विधानसभा चुनाव सबमे कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। मोदी लहर के बाद कांग्रेस यूपी में दोबारा जिंदा होने के लिए लगातार मेहनत कर रही है। इतना ही नहीं कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के बाद यूपी में कई बदलाव किये। सबसे बड़ा बदलाव उसने प्रियंका गांधी की भूमिका को लेकर किया।

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कांग्रेस महासचिव और सूबे की पार्टी प्रभारी प्रियंका गांधी भी जमीनी स्तर पर यूपी में काम करना शुरू कर दिया है। इसके तहत अजय कुमार लल्लू को यूपी कांग्रेस की कमान सौंपी गई है जबकि प्रियंका गांधी यूपी में अब पहले से ज्यादा दिलचस्पी ले रही है।

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कांग्रेस को दोबारा जिंदा करने के लिए दिन रात मेहनत कर रही हैं। प्रियंका सीएए प्रदर्शनकारियों से मिलने के लिए अचानक पहुंच जाती है। कानून व्यवस्था को लेकर योगी सरकार को घेरना हो या फिर किसानों व आम आदमी के हक की बात हो सभी मुददें को प्रियंका जोर-शोर से उठाती है।

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प्रियंका यूपी में खास वर्ग को अपने पक्ष में करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। दरअसल दलितों का वोट बैंक अपनी ओर खींचने के लिए कांग्रेस ने अभी से मेहनत शुरू कर दी है। प्रियंका ने रविदास मंदिर पर माथा टेककर दलितों को अपनी ओर मोडऩे की कोशिश की है। इससे पहले प्रियंका ने भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर से मेरठ में जाकर मुलाकात की थी। प्रियंका की यूपी में बढ़ती सक्रियता और भीम आर्मी की प्रति झुकाव से बसपा को परेशानी में डाल दिया है।

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प्रियंका ने मंदिर में माथा टेकने के साथ-साथ वहां पर लंगर चखा। इस दौरान उन्होंने कहा कि आज यहां आकर बहुत खुशी हुई। देश दुनिया के कोने-कोने से आए लोगों का मैं स्वागत करती हूं। धन्यवाद करती हूं। सभी लोगों को जिन्होंने मेरा स्वागत किया।

रविदास के दर पर मुझे माथा टेकने का मौका दिया। मेरा सौभाग्य है कि कबीर और रविदास ने सबको मिलकर रहना सिखाया, इंसान को किसी धर्म में बांटकर नहीं देखना चाहिए। उसमें सिर्फ इंसान दिखना चाहिए, रविदास जी इस सोच के अगुवा थे। यही सोच इस भारत की नींव है। आज हम सबको उनकी बताई बातों पर अमल करने की जरूरत है।

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हालांकि यह सब बसपा सुप्रीमो मायावती को अखर रहा है। प्रियंका गांधी के इस कदम पर मायावती ने करारा प्रहार किया है और कहा है कि कांग्रेस, भाजपा व अन्य पार्टियां यहां उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार के चलते संत गुरु रविदास जी को कभी भी मान-सम्मान नहीं देती हैं लेकिन सत्ता से बाहर होने पर फिर ये अपने स्वार्थ में इनके मंदिरों/स्थलों आदि में जाकर किस्म-किस्म की नाटकबाजी जरूर करती हैं।

इनसे सर्तक रहें जबकि यहां बीएसपी ही एक मात्र ऐसी पार्टी है जिसने अपनी सरकार के समय में इनको विभिन्न स्तर पर पूरा मान-सम्मान दिया है। जिसे भी अब विरोधी पार्टियां एक-एक करके खत्म करने में लगी हैं, जो अति निंदनीय है। सवाल यह है कि देश के राजनीतिक दल अपनी साख को बचाने के लिए कब तक किसी विशेष समुदाय का सहारा लेगे। वोट बैंक की सियासत के चक्कर में लोग आम मुद्दा भूल जाते हैं। अब देखना होगा कि कांग्रेस का नया दांव यूपी में कितना फायदा पहुंचा सकता हैै।

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