जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद भी सियासी गलियारों में घमासान खत्म नहीं हुआ है. शनिवार को राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष मसूद अहमद ने पार्टी सुप्रीमो जयंत चौधरी पर आरोपों की बरसात करते हुए अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया.
मसूद अहमद ने जयंत चौधरी पर टिकट बेचने के साथ ही दलितों और मुसलमानों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया. मसूद अहमद ने कहा कि मैं पिछले सात साल से पार्टी में रहकर चौधरी चरण सिंह के मूल्यों और सिद्धांतों के साथ काम कर रहा था. मैंने वंचितों, शोषितों, किसानों और जाट व मुसलमानों की एकता के लिए काम किया. मैंने कई बार यह समझाया कि भीम आर्मी चीफ चन्द्रशेखर आज़ाद को अपमानित न करें लेकिन जयंत चौधरी और अखिलेश यादव की तानाशाही के सामने मेरी नहीं सुनी गई. चन्द्रशेखर के जाने से दलित वोट छिटक कर बीजेपी में चला गया और इसका नुक्सान कई सीटों पर हुआ.
मसूद अहमद ने कहा कि चुनाव के दौरान संगठन कहीं नज़र नहीं आया. हर जगह सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव और रालोद सुप्रीमो जयंत चौधरी नज़र आये. पार्टी को समर्पित पासी और वर्मा नेताओं का चुनाव प्रचार में इस्तेमाल किया जाता तो यह वोट हमसे छिटक कर कहीं नहीं जाते और चुनाव का नतीजा कुछ और होता. मसूद अहमद ने कहा कि सिर्फ अपनी गल्तियों की वजह से 50 सीटें हम 200 से दस हज़ार वोटों के अंतर से हारे हैं.
मसूद अहमद ने कहा कि जो चुनाव का कीमती समय था तब टिकट बेचने का काम चल रहा था. बगैर बूथ अध्यक्षों के उम्मीदवार चुनाव लड़ने को मजबूर हुआ. उन्होंने कहा है कि गठबंधन में दोनों दलों के नेताओं को बराबर का सम्मान मिलना चाहिए लेकिन इस गठबंधन में सम्मान की भी जगह नहीं थी. यही वजह है कि जीत के करीब पहुंचकर भी हम हार गए.
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