- तीन विकल्प भर भी नहीं तैयार प्रशासन
- पूरे प्रदेश में कार्य बहिष्कार के पांचवे दिन ठप रहा कार्य
- सोमवार को करेंगे स्वास्थ्य भवन का घेराव
जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। यूपी मेडिकल एंड पब्लिक हेल्थ मिनिस्ट्रियल एसोसिएशन के तत्वावधान में स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने शासन की तरफ से स्थानांतरण नीति के विरोध में अपनी मांगों को लेकर चल रहा कार्य बहिष्कार शुक्रवार को भी जारी रखा। उन्होंने चेताया की मांगे नही मांगी गई तो 26 जुलाई को लखनऊ में स्वास्थ्य भवन का घेराव किया जाएगा।
उधर राज्य कर्मचारी महासंघ जवाहर भवन इंदिरा भवन, स्टाफ नर्सेज संघ प्रयोगशाला प्राविधिक संघ, डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन, एक्सरे कर्मचारी संघ, ऑप्टोमेट्रिस्ट एसोसिएशन, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अन्य विभागीय संगठन ने किया समर्थन।
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यूपी मेडिकल एंड पब्लिक हेल्थ मिनिस्ट्रियल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष प्रेम कुमार सिंह ने बताया कि प्रशासन दूरस्थ किए गए स्थानांतरण के संबंध में तीन विकल्प लेकर संशोधन किए जाने का प्रस्ताव भी नहीं मान रहा।
प्रशासन ने अभी भी किसी तरह की स्वीकृति उसमें नहीं प्रदान की है, इसलिए पूरे प्रदेश में होने वाला आंदोलन आज पांचवें दिन भी जारी रहा।
स्वास्थ्य विभाग के अधीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं जिला चिकित्सालय के समस्त कार्यालयों में समस्त प्रकार का कार्य पूरी तरह से ठप रहा।
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संगठन ने सोमवार को स्वास्थ्य भवन के घेराव का कार्यक्रम रखा है, जिसमें पूरे प्रदेश से लगभग 3000 कर्मचारी स्वास्थ्य भवन पर धरना प्रदर्शन एवं घेराव करेंगे तथा पैदल मार्च करते हुए लोकभवन मुख्यमंत्री कार्यालय में ज्ञापन देंगे।
सतीश कुमार पांडे, अध्यक्ष , जवाहर भवन इंदिरा भवन कर्मचारी संघ ने आंदोलन को समर्थन देते हुए कहा कि यह कार्य स्थानांतरण नीति के विपरीत शोषण करने के उद्देश्य से किया गया यदि कर्मचारियों का उत्पीडऩ किया जाता है तो उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ मिनिस्ट्रियल संवर्ग को पूर्ण रूप से सहयोग प्रदान करेगा।
उत्तर प्रदेश नर्सेज संघ, डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन, लैब टेक्नीशियन एसोसिएशन, एक्सरे कर्मचारी संघ, ऑप्टोमेट्रिस्ट एसोसिएशन, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी संघ सहित अन्य विभागीय संगठनों ने उक्त आंदोलन को अपना समर्थन प्रदान किया।
कार्यालय मुख्य चिकित्सा अधिकारी लखनऊ में आयोजित धरने को संबोधित करते हुए संगठन के प्रांतीय महामंत्री हीरेश सरन सक्सेना ने कहा कि यह स्थानांतरण नहीं बल्कि कर्मचारियों का शोषण है, इससे पहले इतने दूरस्थ स्थानांतरण कभी नहीं किए गए, अल्प वेतनभोगी कर्मचारियों के साथ यह अन्याय किसी भी प्रकार से स्वीकार नहीं किया जाएगा और न्याय मिलने तक यह लड़ाई लड़ी जाएगी।