जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। लोकसभा चुनाव में बेहद कम दिन रह गया है। जहां एक ओर मोदी जीत की हैट्रिक लगाने को बेताब है तो दूसरी ओर विपक्ष उनको रोकने के लिए इंडिया गठबंधन का निर्माण कर चुका है।
इंडिया गठबंधन में पूरा विपक्ष एक हो गया है और मोदी को रोकने का दावा कर रहा है। लोकसभा चुनाव को देखते हुए देश का सियासी मौसम लगातार बदल रहा है।
संसद में जहां एक ओर घमासान मचा हुआ तो दूसरी तरफ चुनाव में कैसे जीत हासिल की जाये उसके लिए रणनीति तेज हो गई है। इन सब के बीच विपक्षी इंडिया गठबंधन की भी दिल्ली में बैठक हुई।
इंडिया गठबंधन में मायावती शामिल नहीं है और अखिलेश यादव भी चाहते हैं कि इस गठबंधन में मायावती की एंट्री न हो। इस वजह से अखिलेश यादव ने कांग्रेस से तल्ख सवाल किए तो वहीं राहुल गांधी ने भी पार्टी ने अपने जवाब से तस्वीर साफ कर दी है।
वही बसपा प्रमुख मायावती ने INDIA गठबंधन पर कहा कि जो भी विपक्षियां पार्टियां इस गठबंधन में नहीं हैं, उन पार्टियों को लेकर किसी को भी फिजूल की टीका-टिप्पणी नहीं करनी चाहिए।
आजाद ने किया मायावती का समर्थन
उन्होंने इंडिया गठबंधन को दूसरी विपक्षी पार्टियों को लेकर टीका-टिप्पणी से बचने की नसीहत दी। अब इस पर भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद ने उसका समर्थन किया है। चंद्रशेखर आजाद ने एक निजी मीडिया चैनल से कहा, ‘जिन लोगों ने गठबंधन बनाया उनकी बात हुई और उन्होंने आपस में बातचीत करके गठबंधन बनाया है।
उनको चाहिए कि किसी दूसरे व्यक्ति पर टिका टिप्पणी नहीं करें। लोकतंत्र में सबका अधिकार है। चुनाव लड़ें या नहीं लड़ें ये उनका अधिकार है। कोई किसी को लड़ा नहीं सकता और कोई किसी को रोक नहीं सकता, सबको अपने संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग करना है। ‘
मायावती ने क्या कहा
मायावती ने विपक्ष को ये नसीहत भी दी कि इसे सभी को गंभीरता से लेना चाहिए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। बसपा प्रमुख मायावती ने INDIA गठबंधन पर कहा कि जो भी विपक्षियां पार्टियां इस गठबंधन में नहीं हैं, उन पार्टियों को लेकर किसी को भी फिजूल की टीका-टिप्पणी नहीं करनी चाहिए।
उन्होंने इंडिया गठबंधन को दूसरी विपक्षी पार्टियों को लेकर टीका-टिप्पणी से बचने की नसीहत दी। बसपा प्रमुख ने ये भी कहा कि मेरी सलाह है कि इन लोगों (इंडिया गठबंधन) को इससे बचना चाहिए।
क्योंकि भविष्य में देश हित में कब किसको किसकी जरुरत पड़ जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। फिर ऐसे लोगों और ऐसी पार्टियों को शर्मिंदगी उठानी पड़ती है। खास तौर पर सपा इसका उदाहरण है।