न्यूज डेस्क
उत्तर प्रदेश पुलिस किसी न किसी वजह से चर्चा में बनी ही रहती है। हालांकि अधिकांश चर्चा के मामले लापरवाही ही होते हैं। एक बार फिर यूपी पुलिस का कारनामा सामने आया है।
दरअसल नागरिकता संसोधन कानून के विरोध में पिछले साल 20 दिसंबर को उत्तर प्रदेश में विरोध-प्रदर्शन के दौरान हिंसा हुई थी। इस दौरान काफी तोडफ़ोड़ हुई थी। तोडफ़ोड़ में शामिल लोगों को पुलिस ने नोटिस भेजा है। पुलिस की फजीहत इसलिए हो रही है क्योंकि पुलिस ऐसे लोगों को नोटिस भेजा है जो या तो दुनिया छोड़ चुके हैं या चलने फिरने से माजूर हैं।
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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यूपी के फिरोजाबाद जिले में ऐसे तीन पुलिस अधिकारियों ‘डिस्ट्रिक्ट लाइन’ भेजा गया है जिन्होंने कथित तौर ने नोटिस जारी किए थे। इसमें नालबंद पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस ऑफिसर (SHO) राजीव चित्ररांशू भी शामिल हैं। हिंसक प्रदर्शन के बाद पुलिस अधिकारियों ने 93 वर्षीय मीर खान, 90 साल के अंसार हुसैन के अलावा मृतक बन्ने खान को नोटिस भेजा था। इस मामले में पुलिस की खूब किरकिरी हुई है।
गौरतलब है कि पिछले साल दिसंबर माह में सीएए को लेकर देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन हुआ, लेकिन सुर्खियों में सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश रहा। उग्र प्रदर्शनों में सबसे अधिक फिरोजाबाद प्रभावित हुआ। कथित तौर पर पुलिस कार्रवाई में मारे गए 19 लोगों में से सिर्फ फिरोजाबाद में छह लोगों की जान चली गई। 20 दिसंबर को सीएए और एनआरसी के खिलाफ हुए प्रदर्शन के चलते शहर में 75 अन्य लोग भी बुरी तरह घायल हुए, जिनमें 18 पुलिसकर्मी शामिल थे।
ज्यादातर मामलों में अस्पतालों का कहना था कि जिन लोगों को गोली लगने के चलते हॉस्पिटल लाया गया तब उनके शरीर से कोई गोली नहीं मिली। इनमें से तीन घायलों को दिल्ली के एम्स और सफदरजंग हॉस्पिटल लाया गया, जबकि एक को दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल में इलाज के लिए लाया गया।
वहीं इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार फिरोजबाद पुलिस का कहना है कि उन्होंने उस दिन एक भी गोली नहीं चलाई। हुई छह मौतों के मामले में पुलिस ने बताया कि उन्होंने केस दर्ज किया और एसआईटी जांच में जुटी है।
इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार फिरोजाबाद स्थित एसएन हॉस्पिटल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर आरके पाण्डे ने बताया, ‘दो शवों से हमें पता चला कि शरीर में बुलेट घुसी और बाहर निकल गई। मगर एक भी गोली शरीर के अंदर नहीं मिली। तीसरे शव में सिर में चोट का निशान था मगर कोई गोली का निशाान नहीं मिला।’ फिरोजबाद में मारे गए छह में से तीन लोगों का पोस्टमार्टम इसी हॉस्पिटल में हुआ था।
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