राजेंद्र कुमार
बीते विधानसभा चुनावों के बाद से लगातार हार का सामना कर रहे समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव ने विधान परिषद की दो सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव से पहले ही हार मान ली है. सपा इन दोनों सीटों पर अपने प्रत्याशी नहीं उतारेगी क्योंकि सपा के पास इन सीटों को जीतने के लिए पर्याप्त वोट ही नहीं हैं. जिसके चलते अखिलेश यादव ने इन सीटों पर प्रत्याशी ना खड़े करने का फैसला किया है. जल्दी ही वह अपने इस फैसले का ऐलान करेंगे. इन दोनों की सीटों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत तय मानी जा रही है.
भाजपा नेताओं के अनुसार, पार्टी के नेताओं के अलावा सपा से नाता तोड़ने वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के मुखिया ओपी राजभर भी अपने बेटे अरविंद राजभर को विधान परिषद भेजने के जुगाड़ में लगे हैं. जल्दी भी भाजपा का शीर्ष नेतृत्व विधान परिषद ही इन दोनों सीटों के उम्मीदवारों की घोषणा कर देगा.
गौरतलब है कि यूपी विधान परिषद में आठ सीटें खाली हैं. इनमें से 6 सीटों पर सदस्यों का मनोनयन राज्यपाल करेंगे. इसके पहले दो सीटों पर उपचुनाव होने वाला है. राज्य विधान परिषद की जिन दो सीटों पर उपचुनाव हो रहा है, इसमें एक सीट सपा नेता अहमद हसन के निधन और दूसरी सीट भाजपा के ठाकुर जयवीर सिंह के विधायक चुने जाने के बाद रिक्त हुई है.
अब इन दोनों सीटों के लिए चुनाव प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. जिन दो सीटों पर उपचुनाव होना है, उन पर भाजपा की जीत तय मानी जा रही है क्योंकि एक सीट पर जीत के लिए 200 वोटों की जरूरत है. इतने वोट विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी सपा के पास नहीं हैं. अपने संख्या बल के आधार पर भाजपा इन दोनों सीटों पर भी काबिज होने जा रही है. इसके चलते ही सपा इन सीटों पर प्रत्याशी ना उतारने का फैसला किया है और जल्दी ही पार्टी इसकी घोषणा करेंगी. इन दोनों सीटों के लिए नामांकन प्रक्रिया सोमवार से शुरू हो चुकी है और 11 अगस्त को वोटिंग होनी है.
ओपी राजभर अपने बेटे को विधान परिषद भेजे के प्रयास में
विधान परिषद की इन सीटों पर उम्मीदवारी के लिए कई भाजपा नेताओं के नाम चर्चाओं में हैं. अधिकांश नाम प्रदेश और क्षेत्रीय पदाधिकारियों के हैं. इन दो सीटों के लिए जो नाम चर्चाओं में हैं, उनमें भाजपा के प्रदेश महामंत्री अमरपाल मौर्य, प्रदेश उपाध्यक्ष संतोष सिंह, प्रदेश मंत्री डा. चंद्रमोहन सिंह, प्रदेश मंत्री देवेश कोरी, पश्चिम के क्षेत्रीय अध्यक्ष मोहित बेनीवाल, कानपुर के क्षेत्रीय अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह, गोरखपुर के क्षेत्रीय अध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह का नाम है.
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माना जा रहा है कि भाजपा एक सीट पूरब और दूसरी पश्चिम के खाते में रखते हुए ही उम्मीदवारों का चयन करेंगी. इसके अलावा ओपी राजभर भी अपने बेटे अरविंद राजभर को विधान परिषद भेजने के प्रयास में हैं. सुभासपा नेताओं के अनुसार, भाजपा अपने कोटे से अरविंद राजभर को विधान परिषद भेज सकती है. अब देखना है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व ओपी राजभर को सपा से विद्रोह करने और एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में वोट देने के एवज में अरविंद यादव को विधान परिषद में भेजने का रिटर्न गिफ्ट देती है या नहीं.