न्यूज़ डेस्क
देशभर में कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से लॉकडाउन लागू है। लॉकडाउन का उल्लंघन करने वाले पर कई कारवाई भी की जा रही हैं। इस बीच उत्तर प्रदेश के निर्दलीय विधायक अमनमणि त्रिपाठी के खिलाफ उत्तराखंड के टिहरी जिले में मुकदमा दर्ग किया गया है। उनपर लॉक डाउन का उल्लंघन करने का आरोप लगा है।
खास बात ये है कि लॉकडाउन के दौरान नियमों की अनदेखी सीएम योगी आदित्यनाथ के स्वर्गीय पिता आनंद सिंह बिष्ट के पितृ कार्य के नाम पर की गई। हालांकि इस बात से सीएम के भाई महेंद्र ने किसी भी पितृ कार्यक्रम से इनकार किया है।
दरअसल, 11 लोगों के साथ विधायक अमनमणि त्रिपाठी चमोली पहुंचे। उन्होंने उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के पिता स्वर्गीय आनंद सिंह बिष्ट का पितृ कार्य पूरा करने के लिए अनुमति मांगी थी। उत्तराखंड के अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने 11 लोगों की अनुमति दी थी। इसके बाद देहरादून से लेकर चमोली तक अमनमणि त्रिपाठी को पूरा प्रोटोकॉल दिया गया।
इसके बाद तीन गाड़ियों से चमोली पहुंचे अमनमणि ने एसडीएम कर्णप्रयाग के साथ बदसलूकी कर दी। इसके बाद मामला मीडिया में आ गया। इसके बाद उन्होंने गौचर में डॉक्टर और स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों के साथ भी रौब दिखाते हुए बदसलूकी की।
इस मामले में कर्णप्रयाग के एसडीएम का कहना है कि अमनमणि त्रिपाठी अन्य लोगों के साथ यूपी से आए थे। उनके पास 3 वाहन थे। उन्हें गौचर बैरियर पर रोक दिया गया। इसके बाद भी वो कर्णप्रयाग पहुंच गए। उन्होंने डॉक्टरों से बहस की और स्क्रीनिंग में सहयोग नहीं किया। काफी समझाने के बाद वो वापस लौटे।
उत्तराखंड सरकार पर उठ रहे सरकार
वहीं, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के भाई महेंद्र ने किसी भी तरह के पितृ कार्य को नकारा है। पिता स्वर्गीय आनंद सिंह बिष्ट की अस्थियों को प्रवाहित किया जा चुका है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि किस आधार पर उनको इजाजत दी गई। बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बावजूद अमनमणि त्रिपाठी को उत्तराखंड में प्रवेश कैसे करने दिया गया है।
टिहरी में दर्ज हुआ मुकदमा
पूरे देश में कोरोना के चलते डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट लागू है। इस एक्ट के तहत धार्मिक प्रतिष्ठान पूरी तरह से आम जनता के लिए बंद है। इसके बावजूद अमनमणि त्रिपाठी को इजाजत कैसे दे दी गई? फिलहाल, अमनमणि के खिलाफ टिहरी के मुनी की रेती थाने में महामारी अधिनियम के तहत मुक़दमा दर्ज किया गया है।