जुबिली न्यूज़ डेस्क
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आज प्रदेश सरकार द्वारा लाये गये ‘लव जिहाद’ के खिलाफ अध्यादेश पर मंजूरी दे दी है। लव जिहाद के खिलाफ उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020 को योगी कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद राज्यपाल के पास भेजा गया था, जिस पर आज राज्यपाल ने मंजूरी दे दी है। अब 6 महीने के अंदर इस अध्यादेश को राज्य सरकार से विधानसभा से पास कराना पड़ेगा।
अध्यादेश को मंजूरी देने के बाद राज्यपाल की ओर से कहा गया कि चूंकि राज्य में विधानमंडल सत्र में नहीं है और राज्यपाल का यह समाधान हो गया है कि ऐसी परिस्थितियां विद्यमान हैं, जिसके कारण उन्हें तुरंत कार्रवाई करना आवश्यक हो गया है। इसलिए अब भारत के संविधान के अनुच्छेद 213 के खंड (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करके राज्यपाल इस अध्यादेश को प्रख्यापित करती हैं।
बता दें कि इससे पहले 24 नवंबर को उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने शादी के लिए धोखाधड़ी कर धर्मांतरण किए जाने की घटनाओं पर रोक लगाने संबंधी कानून के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। इसके बाद ये अपराध करने वालों पर 15-50 हजार तक का जुर्माना का प्रावधान लगाया गया।
वहीं शादी के नाम पर धर्म परिवर्तन अवैध घोषित कर दिया गया है। अगर कोई भी ग्रुप धर्म परिवर्तन कराता है तो उसे 3 से 10 साल की सजा हो सकती है ।
इसके अलावा अगर कोई धर्मगुरु धर्म परिवर्तन कराता है तो उसे डीएम से अनुमति लेनी अनिवार्य होगी। कानून के तहत जो धर्म परिवर्तन करेगा उसे भी जिलाधिकारी से अनुमति लेनी होगी। यदि कोई सामूहिक रूप से धर्म परिवर्तन कराता है तो उसे 10 साल की सजा और 50 हजार रुपये का जुर्माना देना पड़ेगा।
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अगर किसी संगठन की तरफ से ऐसा किया जाता है तो उसकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी। उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत कार्रवाई हो सकती है।
इससे पहले एक महत्वपूर्ण फैसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की तरफ से कहा गया था कि महज शादी के लिए धर्म परिवर्तन वैध नहीं है। जस्टिस एससी त्रिपाठी ने प्रियांशी उर्फ समरीन व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए नूरजहां बेगम केस के फैसले का हवाला दिया था इसमें कोर्ट ने कहा है कि शादी के लिए धर्म बदलना स्वीकार्य नहीं है।