न्यूज डेस्क
सीएए और एनआरसी को लेकर एएमयू में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में डॉ कफील खान पर प्रदेश सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है। प्रशासन और यूपी पुलिस ने उन पर रासुका लगा दी है। शुक्रवार को डॉ कफील की जमानत होने वाली थी लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत की गई कार्रवाई ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
गौरतलब है कि डॉ कफील खान पर पिछले साल अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान भड़काऊ भाषण दिया था। इसके बाद उन्हें यूपी एसटीएफ ने कफील को जनवरी में मुंबई से गिरफ्तार किया था। कफील की गिरफ्तारी के बाद यूपी एसटीएफ पर लोगों ने सवाल भी उठाये। हालांकि, उस समय पुलिस का कहना था कि डॉक्टर कफील खान की गिरफ्तारी न्यायिक प्रक्रिया के तहत हुई है।
पुलिस अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार, डॉक्टर कफील खान को हेट स्पीच की वजह से गिरफ्तार किया गया था। उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया गया था। फिलहाल उन्हें मथुरा की जेल में रखा गया है।
यूपी पुलिस पर भरोसा नहीं
अपनी गिरफ़्तारी के बाद डॉक्टर कफील खान ने कहा था, मुझे गोरखपुर के बच्चों की मौत के मामले में क्लीन चिट दे दी गई। अब मुझे फिर से आरोपी बनाने की कोशिश की जा रही हैं। मैं महाराष्ट्र सरकार से अनुरोध करता हूं कि मुझे महाराष्ट्र में रहने दे। मुझको उत्तर प्रदेश पुलिस पर भरोसा नहीं है।
कोर्ट ने दे दी थी जमानत
कोर्ट में डॉक्टर कफील खान के वकील ने उनकी जमानत की अर्जी दायर की थी। इस पर बीती दस फ़रवरी को सीजेएम कोर्ट ने डॉ कफील खान को जमानत दे दी थी। लेकिन कोर्ट ने 60,000 रुपये के दो बांड के साथ सशर्त जमानत दी थी। साथ ही भविष्य में इस तरह की घटना को नहीं दोहराने का आदेश भी दिया।
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क्या है एनएसए
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम-1980 कानून के तहत देश की सुरक्षा के लिए सरकार, किसी व्यक्ति को हिरासत में रखने का अधिकार देती है। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार दोनों को समान रूप से अधिकार मिले हुए हैं। इसके लगने के बाद व्यक्ति को एक साल तक जेल में रखा जा सकता है। हालांकि तीन महीने से ज्यादा समय तक जेल में रखने के लिए एडवाइजरी बोर्ड की मंजूरी लेनी जरुरी होती है।