जुबिली न्यूज़ डेस्क
उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव को लेकर योगी सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री आवास पर हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में सरकार और संगठन के बीच ये तय किया गया है कि प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव में अब बीजेपी से किसी भी सांसद, विधायक या मंत्री के परिवार का कोई व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकेगा।
शनिवार को हुई बैठक में सभी मंत्रियों (वह चाहे कैबिनेट मंत्री और राज्यमंत्री हो या फिर स्वतंत्र प्रभार) को सीधे तौर पर यह कहा गया है कि अपने क्षेत्र में किसी के घर-परिवार का कोई सदस्य पंचायत चुनाव नहीं लड़ेगा न ही उसे टिकट दिया जाएगा। सीएम योगी आदित्यनाथ ने संगठन के साथ मिलकर परिवारवाद को ख़त्म करने के लिए यह फैसला किया है।
इस बैठक में बीजेपी के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, उत्तर प्रदेश संगठन मंत्री सुनील बंसल, प्रभारी राधामोहन सहित सरकार के सभी मंत्री मौजूद थे। इसमें सभी को कहा गया है कि पार्टी कार्यकर्ताओं को चुनाव लड़ाया जाएगा। बैठक में कहा गया कि मंत्रियों-सांसदों और विधायकों के परिवार के लोग टिकट की मांग नहीं करेंगे।
दरअसल, विपक्षी पार्टी सपा-बसपा पर हमेशा यह आरोप लगता आया है कि वह परिवारवाद की राजनीति करते हैं। इसे बीजेपी समाप्त करने जा रही है और इसीलिए पार्टी ने अपने सभी नेताओं को ये साफ़ संदेश दिया है कि परिवारवाद को बढ़ावा नहीं दिया जाएगा। इसीलिए किसी भी विधायक-सांसद व मंत्री के घर के व्यक्ति को चुनाव नहीं लड़ाया जाएगा।
ये योग्यता होनी जरुरी
बताया जा रहा है कि, पंचायत चुनावों के लिए उम्मीदवारों की न्यूनतम शैक्षिक योग्यता भी तय की जाएगी। ग्राम पंचायत चुनाव में महिला और आरक्षित वर्ग के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता 8वीं पास होगी। वहीं 12वीं पास उम्मीदवार ही जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ सकेगा।जिला पंचायत के लिए महिला, आरक्षित वर्ग और क्षेत्र पंचायत के लिए न्यूनतम 10वीं पास होने पर सरकार में सहमति भी बन चुकी है।
इसको लेकर पंचायती राज एक्ट में संशोधन के लिए बहुत ही जल्द कैबिनेट में ये प्रस्ताव लाया जा सकता है। खबर है कि, विधानसभा के अगले सत्र में पेश पंचायतीराज संशोधन कानून से संबंधित विधेयक पेश हो सकता है।
मार्च में होना चुनाव
बता दें कि मार्च के अंत में प्रस्तावित त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की तैयारियां पूरी होने से पहले ही इसमें नया कानून लागू करने की कवायद शुरू हो चुकी है। कोरोना महामारी के चलते यूपी में तय समय पर पंचायत चुनाव की तैयारियां पूरी नही हुई हैं। इसी वजह से इसे आगे बढाया गया है पंचायत चुनाव दिसंबर 2020 में प्रस्तावित थे।