जुबिली न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। कोविड-19 के बाद उत्तर प्रदेश तेजी से भारत के प्रमुख आर्थिक केन्द्र के रूप में उभर रहा है। आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि निवेशकों की सुविधा के लिये राज्य सरकार ने 52 प्रक्रियात्मक औपचारिकताओं का सरलीकरण किया जबकि कोविड-19 कालखण्ड के बाद के परिदृश्य में निवेश आकर्षित करने के उद्देश्य से सरकार ने अनेक निवेशोन्मुख नीतियाें की घोषणा की हैं।
सरकार द्वारा किए गए नीतिगत सुधारों के सकारात्मक परिणाम मिलने प्रारम्भ हो गए हैं। भूमि आवंटन से सम्बंधित महत्वपूर्ण सुधारों के फलस्वरूप उत्तर प्रदेश में बड़ी निवेश परियोजनाओं हेतु द्वार खुल गए हैं।
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केन्द्र सरकार के उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) द्वारा हाल ही में घोषित बिज़नेस रिफाॅर्म ऐक्शन प्लान रैंकिंग में उत्तर प्रदेश की रैंकिंग, राज्य में ईज़ आफ डूइंग बिज़नेस में हुई उल्लेखनीय प्रगति का स्पष्ट प्रमाण है। प्रदेश ने पिछले तीन सालों में 12 स्थानों की अभूतपूर्व प्रगति करते हुए द्वितीय स्थान प्राप्त किया है।
प्रवक्ता के अनुसार राज्य सरकार द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में रिकॉर्ड 186 सुधारों को लागू किया गया है, जैसे श्रम विनियमन, निरीक्षण नियम, भूमि आवंटन, संपत्ति पंजीकरण, पर्यावरण स्वीकृति तथा करों का भुगतान आदि।
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राज्य में निवेशकों पर विनियामक भार को कम करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नवीनीकरण, निरीक्षण, रजिस्टर व रिकॉर्ड तथा रिटर्न फाइल करने के संदर्भ में लाइसेंसों एवं अनापत्ति प्रमाणपत्रों को चिन्हित करने की कार्यवाही प्रारम्भ कर दी गई है।
इस संबंध में 15 विभागों में अब तक 80 ऐसे प्रक्रियात्मक अनुपालनों को चिन्हित किया गया है, जिनमें से 52 प्रक्रियात्मक औपचारिकताओं का सरलीकरण किया भी जा चुका है।
उत्तर प्रदेश के अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग आयुक्त अलोक टंडन ने कोरोना महामारी के बाद पनपे हालातों के बीच राज्य के औद्योगिक विकास के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी देते हुए बताया कि कोविड संकट से लड़ते हुए उत्तर प्रदेश तेजी से भारत के प्रमुख आर्थिक केन्द्र के रूप में उभर रहा है।
पिछले 6 महीनों में उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में निवेश परियोजनाओं के लिए लगभग 420 एकड़ आवंटित किए गए है, जिसमें लगभग 6,700 करोड़ रुपये का निवेश होगा। इन परियोजनाओं से लगभग 1,35,362 लोगों को रोजगार मिलेगा।
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