जुबिली न्यूज़ डेस्क
उत्तर प्रदेश में किये जा रहे बिजली विभाग के निजीकरण को लेकर कर्मचारी विरोध कर रहे हैं। इसको लेकर बिजली विभाग के 15 लाख से अधिकारी और कर्मचारी हड़ताल पर है। कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों की मुश्किलें बढ़ गई है। इसके चलते लाखों लोगों को अंधेरे में रहना पड़ा। यहां तक खुद उर्जामंत्री सहित 36 मंत्रियों के आवास में बिजली सप्लाई नहीं हो सकी।
बताया जा रहा है कि सोमवार शाम को ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के साथ विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों की बैठक हुई थी। इसमें ऊर्जा मंत्री ने निजीकरण का प्रस्ताव वापस लेने की घोषणा की और सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए। हालांकि यूपीपीसीएल और विद्युत कर्मचारियों के बीच अभी सहमति नहीं बन पाई है।
इसके बाद समिति ने आज प्रदेश भर में आंदोलन का ऐलान किया है। अलग-अलग जिलों में लगभग 25 हजार से ज्यादा कर्मचारी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल होंगे। इससे पहले आम लोगों ने बिजली की सप्लाई ठप होने की वजह से बिजली कर्मचारियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। साथ ही सड़कों पर बवाल भी किया। ऐसे में अधिकारियों को समझाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी।
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जानकारी के अनुसार, यूपी के कई शहरों में तो बिजली की आपूर्ति जारी है, लेकिन कई ऐसे शहर भी हैं जहां कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से सप्लाई बंद कर दी गई है। जौनपुर, आजमगढ़, गाजीपुर, मऊ, बलिया, चंदौली सहित कई जिलों में सोमवार को सुबह 9 बजे से बिजली की सप्लाई बंद हो गई, जो रात भर जारी रही।
दरअसल 5 अप्रैल 2018 को राज्य सरकार और बिजली विभाग के कर्मचारियों के संगठनों के बीच ऊर्जा प्रबंधन के साथ एक समझौता हुआ था। इस समझौते में कहा गया कि निजीकरण से संबंधित कोई भी निर्णय लेने से पहले सरकार कर्मचारियों को विश्वास में लेगी।साथ ही बिना विश्वास में लिए कोई भी फैसला नहीं करेगी।