जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में एक बार फिर साइकिल कोई खास कमाल नहीं कर सकी और बीजेपी दोबारा सत्ता में वापसी करने जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 37 साल बाद भारतीय जनता पार्टी को यूपी की सत्ता पर लगातार दूसरी बार काबिज करने का इतिहास बना दिया है।
37 साल पहले कांग्रेस ने बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की थी। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्धारित पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करते हुए फिर से भाजपा की सत्ता में वापसी करते हुए पार्टी को ऐतिहासिक तोहफा दिया है। अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यूपी में भाजपा के ऐसे पहले नेता हो गए हैं जो लगातार दूसरी बार सीएम बनेंगे।
वहीं बात सपा की जाये तो अखिलेश यादव ने अपनी जीत का दावा किया था लेकिन नतीजे ने उनको एक बार फिर वनवास काटने पर मजबूर कर दिया है। यूपी विधान सभा चुनाव का एलान होते ही दलबदलुओं का खेल भी तेज हुआ था।
इसका नतीजा यह रहा कि कई ऐसे नेता जिन्होंने कमल से किनारा कर साइकिल की सवारी करने का मन बनाया और सपा में शामिल हुए । अब चुनावी नतीजे सामने आ रहे हैं और पता चला है कि कई दलबदलुओं को इस बार विधान सभा जाना भी नसीब नहीं होगा।योगी सरकार से मंत्री पद से इस्तीफा और बीजेपी का साथ छोड़कर सपा में शामिल होने वाले दिग्गज नेता स्वामी प्रसाद मौर्य और धर्म सिंह सैनी को इस बार हार का मुँह देखना पड़ा है। दोनों नेता ने बीजेपी छोड़ते वक्त दावा किया था इस बार के चुनाव में बीजेपी की करारी शिकस्त होने जा रही है लेकिन हुआ इसके उल्ट और सपा सत्ता तक नहीं पहुंच सकी।
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मंत्री पद से इस्तीफ़ा देकर अखिलेश यादव के पाले में आ खड़े हुए स्वामी प्रसाद मौर्य को उम्मीद थी कि इस बार अखिलेश यादव की सरकार बनेगी और बीजेपी हारेगी।
इसी वजह से समय रहते उन्होंने अपना मंत्री पद बनाये रखने के लिए समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया था। स्वामी प्रसाद इस बार अपनी परंपरागत सीट पडरौना छोड़कर, फाजिलनगर सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे, लेकिन पार्टी और सीट बदलना काम नहीं आया।
धर्म सिंह सैनी का भी यही हाल हुआ। सहारनपुर जिले की नकुड़ विधानसभा सीट पर उनको मुंह की खानी पड़ी और नकुड़ सीट पर बीजेपी को 1,03,771 वोट मिले, जबकि सपा को 103616 वोट मिले हैं। इस तरह से बहुत मामूली वोटों से धर्म सिंह सैनी को हार का मुंह देखना पड़ा है।
पूर्वांचल के ब्राह्मण चेहरा माने जाने वाले हरीशंकर तिवारी के बेटे विनय शंकर तिवारी बसपा छोडक़र सपा से ताल ठोंकी लेकिन उनको बीजेपी प्रत्याशी राजेश त्रिपाठी ने पराजित किया।
श्रावस्ती विधानसभा सीट से विधायक मोहम्मद असलम राइनी, बसपा छोडक़र सपा में शामिल हुए थे लेकिन उनको बीजेपी प्रत्याशी राम फरेन ने चारोंखाने चित कर दिया है।