जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। चुनाव आयोग ने कल उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर के लिए विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी है। इस बार करीब कुल 18.34 करोड़ वोटर इन पांच राज्यों में भाग लेंगे।
चुनाव आयोग की माने तो इस बार 24.9 लाख ऐसे लोग होंगे जो पहली बार चुनाव में वोट डालेंगे। उत्तर प्रदेश में इस बार सात चरणों में चुनाव होगा। इसके तहत 10 फरवरी से 7 मार्च तक वोटिंग की जाएगी।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे 10 मार्च को आएंगे। इस बार कौन बाजी मारेगे ये तो आने वाला वक्त बतायेंगा लेकिन चुनावी गठजोड़ के समीकरण लगातार बदलते नजर आये हैं। सपा से लेकर बीजेपी अपने गठजोड़ को और मजबूत करने में जुट गया है।
अखिलेश यादव छोटे दलों के सहारे यूपी की सत्ता तक पहुंचना चाहते हैं जबकि बीजेपी के कुछ पुरान साथियों ने उनक साथ छोड़ दिया है लेकिन नये लोगों से बीजेपी का गठबंधन एक बार फिर मजबूत लग रहा है।
पिछले विधानसभा चुनाव से अखिलेश यादव ने सबक लिया है और इस बार किसी भी बड़ी पार्टी से कोई गठबंधन नहीं किया है। हालांकि अखिलेश यादव का पूरा फोकस छोटे क्षेत्रीय व जातीय दलों पर रहा है और अखिलेश यादव ने छोटे-छोटे दलों के साथ गठबंधन कर यूपी की सत्ता हासिल करने में ज्यादा विश्वास दिखा रहे हैं।
पिछले चुनाव में एक साथ नजर आने वाली सपा और कांग्रेस की राहे इस बार अलग-अलग है। वहीं भाजपा की बात की जाये तो इस बार उसके साथ ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा की पार्टी अलग हो चुकी है और अखिलेश के साथ इसका गठबंधन हुआ जबकि भाजपा ने निषाद पार्टी को अपने से रखा है।
अखिलेश यादव ने पश्चिमी यूपी में जाट बिरादरी के बीच खासा प्रभाव रखने वाले रालोद को पूरे मान सम्मान के साथ अपने से जोड़ा है। ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा के साथ ही अद (कमेरावादी) तथा अन्य कई दलों को अपने साथ रखकर यूपी में अलग सत्ता का नया समीकरण बनाने की कोशिशों में लगे हुए है।
वहीं अखिलेश यादव ने अपने चाचा से भी हाथ मिलकर यूपी चुनाव में पूरे दम-खम के साथ उतरते हुए नजर आ रहे हैं। वहीं बसपा की बात की जाये तो इस बार यह पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी जबकि कांग्रेस का भी यही हाल है। कुल मिलाकर 2017 से लेकर साल 2022 में बहुत कुछ बदला हुआ नजर आ रहा है।