न्यूज डेस्क
उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस का जानलेवा कहर जारी है। लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में जालौन के जिन 58 वर्षीय डॉक्टर की प्लाज्मा थेरेपी हुई थी, आज उनकी मौत हो गई। देश में प्लाज्मा थेरेपी के बाद किसी की भी मौत का यह पहला मामला है।
केजीएमयू में पहली प्लाज्मा थेरेपी कोरोना वायरस से संक्रमित 58 वर्षीय डॉक्टर को 14 दिन पहले दी गई थी। 26 अप्रैल को प्लाज्मा थेरेपी दी गयी थी। इसके 24 घंटे में दो बार डोज दी गयी। शुक्रवार तक उनकी हालत स्थिर थी।
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सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि आज ही कोरोना संक्रमण की उनकी दूसरी सैंपल रिपोर्ट आई थी, वह भी निगेटिव थी, जबकि उनकी पत्नी को आज दूसरी रिपोर्ट निगेटिव आने पर डिस्चार्ज किया गया है।
गौरतलब है कि जालौन के उरई के 58 वर्षीय चिकित्सक केजीएमयू के कोरोना वार्ड में भर्ती थे। इनकी पत्नी भी संक्रमित पाई गई थी। उत्तर प्रदेश के यह पहले कोरोना संक्रमित थे, जिनको प्लाज्मा थेरेपी दी गयी थी। थेरेपी के बाद उनके फेंफड़ों में बहुत सुधार आया था। इस दौरान वेंटीलेटर की आवश्यकता भी कम हो गयी थी।
दुर्भाग्यवश से इस दौरान इनको यूरेनरी ट्रेक में इंफेक्शन हो गया जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई। प्रवक्ता सुधीर कुमार ने बताया कि शनिवार सुबह उनकी डायलिसिस भी की गई थी। इसके लिए उनका पूर्ण उपचार किया गया। उनकी डायलिसिस भी की गई। आज इनकी दोनों बार की कोरोना जांच निगेटिव आ गयी थी। वहीं डॉक्टर की पत्नी भी कोरोना पॉजिटिव थी। इनका इलाज चल रहा, हालत में सुधार के बाद उन्हें शनिवार शाम डिस्चार्ज कर दिया जाएगा।
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जालौन जिला के उरई निवासी डाक्टर को 26 अप्रैल को कोरोना वायरस संक्रमण के कारण किंग जार्ज मेडिकल यूनिवॢसटी में भर्ती कराया गया था। उनको लखनऊ की पहली कोरोना वायरस संक्रमित महिला ने स्वस्थ होने के बाद अपना प्लाज्मा डोनेट किया था।
कनाडा से लौटी यूपी की पहली कोरोना संक्रमित व गोमतीनगर निवासी महिला डॉक्टर ने ही संक्रमण मुक्त होने के बाद अपना प्लाज्मा दान किया था। उन्हें 24 घंटे में इसकी दो डोज दी गई थी, जिसके बाद डॉक्टर हालत में तेजी से सुधार हुआ था। जल्द उनके डिस्चार्ज की उम्मीद की जा रही थी।
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केजीएमयू में इलाज के दौरान मृत हुए डॉक्टर को पहले से मधुमेह की बीमारी भी थी। इसलिए वह हाईरिस्क पर थे। 58 वर्ष की उम्र का होना भी कोरोना से जंग को बेहद संघर्षमय बना दिया था। प्लाज्मा थेरेपी पाने के बाद भी जिंदगी की जंग हारने वाले डॉक्टर का बेटा भी मेडिकल का छात्र है जो केजीएमयू में ही इंटर्न कर रहा है।
केजीएमयू के संक्रामक रोग विभागाध्यक्ष डॉ. डी हिमांशु ने बताया कि प्लाज्मा थेरेपी से उनकी हालत में काफी सुधार था। उनका वेंटीलेटर भी कम किया जा रहा था। उनकी कोरोना जांच भी निगेटिव आ चुकी थी। मगर आखिरी क्षणों में यूरिनरी इंफेक्शन बढ़ने व किडनी फेल हो जाने से डॉक्टर की मौत हो गई।