- तबादलों में 30 प्रतिशत संशोधन अनियमितता एवं भ्रस्टाचार का प्रतीक
- सरकार की छवि को धूमिल कर रहे कुछ अधिकारी
- निलंबन एवं जांच की मांग
- सैकड़ो की संख्या में न्यायालय में रिट दाखिल
एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम सिंह ने बताया कि तबादली में बड़ी गड़बड़ी हुई है…नियमों की अनदेखी की गई है… दिव्यांगों का भी तबादला किया गया है. ..इसके अलावा महिलाओं का तबादला 600 से 800 किलोमीटर दूर तक किया गया है… जिनके पति-पत्नी दोनों सरकारी नौकरी में हैं, उनको भी अलग-अलग जगह तबादला कर दिया है…
जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग प्रदेश सरकार की तबादला नीति का मामला लगातार तूल पकड़ता नजर आ रहा है। यूपी मेडिकल एंड पब्लिक हेल्थ मिनिस्ट्रियल एसोसिएशन ने खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की है।
इतना ही नहीं स्वास्थ्य विभाग में हुए लिपिकीय संवर्ग के तबादले निरस्त करने की मांग लेकर बड़ी संख्या में कर्मचारियों ने स्वास्थ्य भवन का घेराव किया।
इसको लेकर यूपी मेडिकल एंड पब्लिक हेल्थ मिनिस्ट्रियल एसोसिएशन ने कहा है कि स्वास्थ्य विभाग में लिपिकों के गैर जनपदों में किये गए 1534 तबादलों के विपरीत अब तक लगभग 500 तबादला आदेशों को संशोधित किया गया है।
30 प्रतिशत तबादला आदेशों को संशोधित किए जाने से संगठन द्वारा लगाए गए आरोपो की पुष्टि होती है। संगठन पुन: मांग करता है कि आनियमित किए गए स्थानांतरण की जांच कराई जाए एवं दोषी अधिकारी तथा कर्मचारी को दंडित किया जाए। जब तक जांच पूर्ण नहीं हो जाती है तब तक इन तबादला सूची को स्थगित अथवा निरस्त कर दिया जाए।
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संगठन के प्रदेश अध्यक्ष प्रेम कुमार सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के कुछ अधिकारी एवं कर्मचारी सरकार की स्वच्छ छवि को धूमिल कर रहे हैं, उनके द्वारा बड़े पैमाने पर नियम के विपरीत महिलाओं, विकलांगों, 02 वर्ष से कम अवधि, युगल दंपति, गंभीर रोगियों एवं संगठन के पदाधिकारियों के स्थानांतरण किए गए है। अब संशोधन के नाम पर खानापूरी की जा रही तथा संशोधनों में भी अपनी मनमानी पूरी तरह से चलाई जा रही है।
इस वजह से संगठन मांग करता है कि इन तबादला सूचियों को स्थगित अथवा निरस्त करते हुए पहले जांच कराई जाए एवं दोषी अधिकारी एवं कर्मचारी को दंडित किया जाए।
तबादलों की वजह से विभाग में बहुत से कार्य प्रभावित हो रहे है, सैकड़ों की संख्या में लोगों ने न्यायालय में रिट दाखिल कर रखी है। विभाग पूरी तरह से इन रिट के निस्तारण में लगा हुआ है।
जनपदों में लिपिकीय संवर्ग का कार्य भी प्रभावित है जो कि कोविड-19 की लहर को देखते हुए कदापि उचित नहीं है। संगठन पुन: अपील करता है कि अनियमित तबादलों की जांच तक इस सूची को स्थगित अथवा निरस्त कर दिया जाए ।