जुबिली न्यूज डेस्क
लखनऊ: वैसे तो उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव-2023 को लोकसभा चुनाव की तैयारियों के तौर पर देखा जा रहा है। चाहे सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी दल हों, विपक्षी दल समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी या कांग्रेस हो… हर राजनीतिक दल के लिए संगठन के लिहाज से ये चुनाव महत्वपूर्ण हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए ये चुनाव अलग ही महत्व रखता है।
ये पहला चुनाव है, जो ‘अकेले’ योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी लड़ रही है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि असल में ये चुनाव योगी आदित्यनाथ के लिए ‘मोदी के साये’ से निकलने का असली टेस्ट है। इसका रिजल्ट जो भी आएगा, पूरा श्रेय सिर्फ और सिर्फ योगी आदित्यनाथ के हिस्से ही जाएगा।
दरअसल 2017 के विधानसभा चुनावों से लेकर यूपी में हुए अब तक के हर चुनाव पर नजर डालें तो योगी आदित्यनाथ की छवि मजबूत जरूर होती गई है लेकिन ये छवि नरेंद्र मोदी नाम के ‘साये’ में ही रही है। 2017 में योगी आदित्यनाथ जब बीजेपी की प्रचंड जीत के बाद मुख्यमंत्री बनाए गए तो उनकी अगुवाई में बीजेपी ने पहला चुनाव नगर निकाय का ही लड़ा था। उस चुनाव में बीजेपी ने 16 नगर निगमों में से 14 पर जीत हासिल की थी,
यही नहीं 70 नगर पालिका अध्यक्ष और नगर पंचायतों में 100 सीटों पर जीत के साथ बढ़िया प्रदर्शन किया था। भले ही पीएम नरेंद्र मोदी ने खुद इस परिणाम के बाद योगी आदित्यनाथ और उनकी टीम की प्रशंसा की थी लेकिन इस जीत में भी ‘मोदी फैक्टर’ को ही अहम माना गया था। कारण ये था कि योगी उस समय कुछ ही महीनाें के सीएम थे। और प्रशासनिक तौर पर ‘टेस्टिंग’ के दौर से ही गुजर रहे थे।
इसके 5 साल बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए दोबारा यूपी की सत्ता हासिल कर ली। इस जीत ने योगी का कद काफी बढ़ाया। जीत के लिए योगी को श्रेय जरूर मिला लेकिन यहां भी मोदी फैक्टर और मुफ्त अनाज जैसी केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं ने उनका श्रेय बांट लिया।
यूपी का निकाय चुनाव
यूपी नगर निकाय चुनाव 2023 पर नजर डालें तो बीजेपी की पूरी केंद्रीय टीम ने कर्नाटक चुनाव में ताकत झोंक रखी है। योगी आदित्यनाथ निकाय चुनाव में अकेले मोर्चे पर डटे हैं। वह अपनी मंत्रियों, विधायकों के साथ स्टेट बीजेपी की टीम की अगुवाई कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य के लिहाज से ये नगर निकाय का चुनाव किसी विधानसभा चुनाव से कम नहीं है। प्रदेश में 17 नगर निगम बन चुके हैं, यहां महापौर का चुनाव हो रहा है। 760 शहरी निकायों, 199 नगर परिषदों और 544 नगर पंचायतों के कुल 1,420 नगरसेवकों और परिषद-पंचायतों के करीब 12,500 सदस्यों का चुनाव हो रहा है। करीब साढ़े 4 करोड़ मतदाता इस दौरान अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।