न्यूज डेस्क
मोदी लहर में विपक्ष के समीकरणों की दीवार को चकनाचूर करने वाली भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के सामने उपचुनाव में पार्टी के प्रदर्शन को सुधारने की बड़ी चुनौती है। अपने विपक्षियों को हर मैदान में धाराशाही करने वाली बीजेपी अक्सर उपचुनावों में घुटने टेक देती है।
अब यूपी में फिर से 12 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं और योगी के सामने इस खराब इतिहास को बदलने की चुनौती है। बीजेपी ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने 13 मंत्रियों को जिम्मेदारी दी है। 11 विधानसभा सीटों पर एक-एक मंत्री को, जबकि बहराइच की बलहा सीट पर दो मंत्रियों को चुनाव जिताने का जिम्मा दिया गया है।
पार्टी आलाकमान ने नेताओं को हिदायत देते हुए ये साफ कर दिया है कि उपचुनाव बीजेपी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। जिन सीटों पर बीजेपी के प्रत्याशी पहले नहीं जीते थे, उन पर भी इस बार जीत हासिल करनी है। सीट जीतने के लिए जिन मंत्रियों को उपचुनाव जिताने की जिम्मेदारी दी गई है, वे सभी जल्द क्षेत्र में पहुंचकर स्थानीय संगठन के साथ मिलकर खाका तैयार करें।
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सूत्रों की माने तो जिन मंत्रियों को उपचुनाव में जिम्मेदारी दी गई है उनसे ये साफ कह दिया गया है कि वे अपनी पूरी ताकत और रणनीति लगाकर इन सीटों को जीतें। खास तौर पर सपा और बसपा के पास रही रामपुर और जलालपुर सीटों पर विशेष ध्यान दिया जाए। रामपुर से 2017 में आजम खां और जलालपुर से रितेश पांडेय विधायक थे। इन सीटों के लिए अलग से रणनीति तैयार की जाएगी।
इस बीच मायावती का उपचुनाव में उतरना बीजेपी के लिए राहत बनकर आया है। सपा से गठबंधन तोड़ने और उपचुनाव में उनके उतरने के बाद त्रिकोणीय लडाई की संभावनाओं ने बीजेपी की उम्मीदों को रोशन कर दिया है।
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दरअसल, उपचुनाव में बसपा के न लड़ने के कारण अधिकतर सीटों पर लड़ाई सीधी ही रहती है। कांग्रेस एकाध सीटों को छोड़कर कहीं टक्कर देने की स्थिति में नहीं रहती। लोकसभा चुनाव में जरूर सपा को बसपा ने समर्थन दिया था, जिसके बाद आए नतीजों ने पूरे देश में सुर्खियां बटोरी। इस बार विधानसभा उपचुनाव में बसपा पहली बार उतर रही है। सपा अलग लडेगी। ऐसे में विपक्ष के वोटों के बिखराव और अपने कोर वोटों की एकजुटता से बीजपेी पुरानी रवायत बदलने की उम्मीद बांधे है।
लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद पस्त सपा और नतीजों से थोड़ी उम्मीद बटोरने वाली बसपा के खाते में सीटें देकर बीजेपी वैसे भी विपक्ष को संजीवनी नहीं देने चाहती। इसलिए विपक्ष के बिखराव के बाद भी पार्टी ने पूरा दमखम झोंक दिया है।
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बताते चले कि यूपी में विधानसभा की 12 सीटों पर उपचुनाव होने हैं। इनमें 11 सीटों पर उपचुनाव होने हैं। इनमें 11 सीटें विधायकों के सांसद बनने और एक सीट बीजेपी विधायक की सदस्यता रद्द होने के कारण खाली हुई है। ऐसे में जिन 12 सीटों पर उपचुनाव होने हैं। उनमें 10 बीजेपी के खाते में थी। अब पार्टी के सामने जीत के जश्न को बरकरार रखने के लिए कम से कम इन 10 सीटों को बरकरार रखने की चुनौती है।