धीरेन्द्र अस्थाना
लखनऊ। दूसरे विभागों का हिसाब- किताब रखने वाले लेखा परीक्षा विभाग में भारी अनियमित्ताएं प्रकाश में आयी है। मजे की बात ये है कि इसमें विभाग के एक अधिकारी ने अपने अजीज अधिकारी के साथ मिलकर यह गड़बड़झाला किया है और उस पर लीपापोती करने का काम शासन स्तर से किया जा रहा है। जांच कराने के लिए जो पत्राचार किया गया है, उसमें भी कड़े एक्शन लेने के बजाए हीलाहवाली सामने आ रही है।
लेखा परीक्षक से ज्येष्ठ लेखा परीक्षक के पद पर पदोन्नति में भारी अनियमित्ताएं इन दिनों विभाग के लिए चर्चा का विषय हुआ है। उत्तर प्रदेश के वित्त विभाग के अधीन आने वाला मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी सहकारी समितियां एवं पंचायतें विभाग में पदोन्नति मामले को लेकर 17 अप्रैल 2019 को सीतापुर निवासी बृज किशोर दीक्षित ने एक शिकायत की थी।
जिसमें उन्होंने साफ बताया था कि मुख्यालय के आदेश की अनदेखी कर बैक डेट में वेतनवृद्धि का लाभ दिलाने के लिए 1 जनवरी 2019 के अपराहन में जारी पदोन्नति आदेश पर उसी दिन पूर्वाहन में लेखा परीक्षकों को पदोन्नत पद ज्येष्ठ लेखा के पद पर कार्यभार ग्रहण कराया गया था।
इस मामले में शासन के अधिकारी कड़े तेवर दिखाने के बजाए उसमें लीपापोती करने में जुटे है। आपको बता दे कि साफ तौर पर अधिकारियों की इस लापरवाही की वजह से राजकोष को क्षति पहुंची और इसका लाभ केवल लखनऊ और फैजाबाद में तैनात कर्मचारियों को ही मिला। इसके अलावा ये भी पता चला है कि लालच में लेखा परीक्षकों ने अधिकारियों की मुंह दिखाई कर उन्हें खुश किया और अनियमित तरीके से कार्यभार भी ग्रहण कर लिया।
ये है पूरा मामला
मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी, सहकारी समितियां एवं पंचायतें विभाग, उ.प्र लखनऊ के आदेश संख्या सी-338/अ -2/2019 दिनांक 1 जनवरी 2019 से 210 लेखा परीक्षकों का ज्येष्ठ लेखा परीक्षक पद पर पदोन्नति का आदेश जारी किया गया।
मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी कार्यालय के पत्र संख्या सी.- 524/अ-2 के अनुसार पदोन्नति का आदेश 1 जनवरी 2019 को अपराह्न में जारी किया गया। परन्तु कई मण्डलों विशेषकर लखनऊ एवं फैजाबाद मण्डल के जिलों में पदोन्नत ज्येष्ठ लेखा परीक्षकों को पूर्वाह्न में बिना पदोन्नति आदेश के कार्यभार ग्रहण करवा दिया गया। पूर्वाह्न में कार्यभार ग्रहण के कारण उसी तिथि को वेतन वृद्धि देकर वेतन का आहरण भी कर दिया गया।
कई जिलों में धांधली कर किया गया ट्रांसफर
शिकायती पत्र के अनुसार लखनऊ और फैजाबाद मंडल में पदोन्नति के बाद नियम के विपरीत सबसे ज्यादा ट्रांसफर किये गये और उन्हें भी पूर्वांह्न में ही ज्वॉइन कराया गया, साथ ही वेतन निर्धारण कर वेतन भी निकाल दिया गया। यह भ्रष्टाचार और निष्ठा का प्रमाण है।
जिस प्रकार ट्रांसफर के बाद दूसरे जनपद में जाकर पूर्वाह्न में ही उन्हें ज्वॉइन करा दिया गया। इस संबंध में उप मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी केपी मलिक जिनके पास लखनऊ एवं फैजाबाद मंडल है, उनसे सम्पर्क कर ये जानने का प्रयास कई बार किया गया, लेकिन उनकी अनुपस्थिति के चलते उनका पक्ष संभव नहीं हुआ।
कई अधिकारियों के पास प्रभार
लखनऊ, फैजाबाद, वाराणसी, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, इलाहाबाद, गोरखपुर सहित कई मंडलों में 2 से 3 जिलों का प्रभार संभाल रखा है। सूत्र बताते है कि इन अधिकारियों को कई जिलों की कमान सौंपा जाना भी संदिग्ध है कि आखिर लूट की पराकाष्ठा केवल एक जिले तक सीमित न रहकर कई जिलों तक फैली हुई है।
शासन ने की कार्यवाही के नाम पर लीपापोती
मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी के पत्र के संदर्भ में वित्त (लेखा परीक्षा) अनुभाग-1 में संख्या- आडिट-1-482/दस-2019-304(1)/2018 दिनांक 28 मई 2019 को इस मामले को गंभीर प्रकृति और कार्यवाही को न मानते हुए लीपापोती कर केवल इतना रह गया है कि ‘1 जनवरी 2019 को जिन कार्मिकों ने पूर्वाह्न में कार्यभार ग्रहण किये जाने हेतु प्रतिवेदन प्रदत्त किया गया, उनको अपराह्न मानते हुए वेतन वृद्धि/ वेतन निर्धारण करें’।
शासन ने अनियमित ट्रांसफर, गलत वेतन वृद्धि/वेतन निर्धारण और आहरण मुख्यालय के आदेश का कुटकरण आदि पर चुप्पी साध लिया है। जिनसे अधिकारियों की सत्यनिष्ठा और कार्य प्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगता है।
सूत्रों के अनुसार उप मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी केपी मलिक की तैनाती फैजाबाद मण्डल में एक वर्ष पूर्व तक थी, गत वर्ष ट्रांसफर लखनऊ मण्डल में किया गया, परन्तु फैजाबाद मण्डल का साथ उनसे नहीं छूठा और लखनऊ में तैनाती के साथ- साथ फैजाबाद मण्डल का चार्ज भी शासन ने दे दिया। इसलिए इन दोनों मण्डलों में कुटकरण करके ज्वॉइनिंग और वेतन वृद्धि/ वेतन निर्धारण और वेतन आहरण के बाद भी उप मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी सम्बंधित जिलों के जिला लेखा परीक्षा अधिकारी शासन के कृपापात्र बने हुए है। इस लापरवाही की वजह से राजकोष को क्षति पहुंच रही है, जिससे शासन मुंह फेरता हुआ दिखाई पड़ रहा है।
अधिकारी कहते है
मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी अवनीन्द्र दीक्षित कहते है कि उनके पास इस मामले की शिकायत आयी तो उन्होंने इस प्रकरण विषयक पत्र शासन को लिखा। अवनीन्द्र कहते है कि शासन स्तर से जांच कर आगे की कार्यवाही होनी है। हमने पत्र लिखकर शासन को अवगत करा दिया है। जुबिली पोस्ट के जवाब में उन्होंने ये भी स्वीकार किया है कि अधिकारियों की लापरवाही से कर्मचारियों को इसका लाभ दिया गया है। वे ये भी नहीं बता सके की उनके पास इस बात का कोई प्रमाण है क्या जिससे ये साबित हो सके की पदोन्नति आदेश अपराह्न में कब जारी किया गया।