जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अब चुनाव बेहद करीब है। ऐसे में सियासी दलों ने अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। बात अगर विपक्ष की जाये तो कांग्रेस और सपा इस समय यूपी की राजनीति और ज्यादा सक्रिय हो गए है और चुनावी दंगल में मजबूत दावेदारी पेश कर रहे हैं।
जहां सपा छोटी-छोटी पार्टियों के सहारे सत्ता तक पहुंचना चाहती है तो दूसरी ओर कांग्रेस ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले। उधर बीजेपी से अलग हो चुके सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर एक बार फिर एनडीए का हिस्सा हो सकते हैं।
जानकारी मिल रही है कि बीजेपी के साथ एक बार फिर उनकी पार्टी का गठबंधन हो सकता है। हालांकि पहले भी इसको लेकर केवल कयास लगते रहे हैं।
बीजेपी के साथ मिलकर 2022 का चुनाव लडऩा चाहते हैं लेकिन उन्होंने इसके लिए कई शर्तें रखी है। अगर बीजेपी ओम प्रकाश राजभर की मांगों को मान लेती है तो एक बार फिर बीजेपी के साथ सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर का गठबंधन हो सकता है।
क्या है ओमप्रकाश राजभर की मांग
- देश में पिछड़ों की जातिगत जनगणना
- रोहिणी आयोग की रिपोर्ट को लागू करने
- उत्तर प्रदेश में सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट लागू किया जाए
- यूपी में घरेलू बिजली का बिल माफ किया जाए
- एक समान अनिवार्य और मुफ्त शिक्षा दी जाए
इसके आलावा राजभर ने पुलिस कर्मचारियों की बॉर्डर सीमा समाप्त हो, इन्हें अपने जिले में तैनाती की छूट हो। इसके साथ ही पुलिस ड्यूटी 8 घंटे की समय निर्धारित हो और उनको साप्ताहिक अवकाश मिले।
राजभर ये भी चाहते हैं कि पुरानी पेंशन बहाल की जाए. होमगार्ड, पीआरडी और चौकीदार दोनों पुलिस के समान सुविधाएं मिलें। अब देखना होगा कि बीजेपी उनकी मांगों का मानती है कि या नहीं।
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इससे पहले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर अगस्त में लखनऊ में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह से भेंट की थी और दोनों की मुलाकात को लेकर यूपी की सियासत में एकाएक हलचल मचती नजर आ रही है।
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माना जा रहा है कि चुनाव से पहले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर अपना पाला बदल सकते हैं और फिर से एनडीए के साथ जा सकते हैं।
हालांकि ये केवल अभी कयास भर है। दूसरी ओर राजभर ने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह से हुई मुलाकात को लेकर कहा था कि ये एक शिष्टाचारी मुलाकात है।
हालांकि उन्होंने एक न्यूज चैनल से बातचीत में एनडीए में लौटने को लेकर अपनी चुप्पी तोड़ी है और बताया था कि वो बीजेपी के साथ गठबंधन तभी करेंगे जब भाजपा उनकी पांच शर्ते मान लेती है।