जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। यूपी में चुनावी बिगुल बज चुका है। एक ओर राजनीतिक दल मतदाताओं को रिझाने में लगे हुए हैं तो दूसरी ओर नेताओं का पार्टी छोडऩे और ज्वाइन करने सिलसिला मचा हुआ है।
मौजूदा समय में सबसे ज्यादा भगदड़ जैसी स्थिति भाजपा में है। मंगलवार को योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस्तीफा दिया तो दूसरे दिन बुधवार को ओबीसी नेता दारा सिंह चौहान ने इस्तीफा दे दिया।
अब यूपी भाजपा में संकट थमता के नाम नहीं ले रहा है। औरया से बिधूना विधायक विनय शाक्य ने बीजेपी छोड़ दी है जबकि योगी सरकार में आयुष मंत्री धर्म सिंह सैनी ने इस्तीफा दे दिया है। इसके साथ ही गुरुवार को तीसरा जबकि अब तक 9वें भाजपा का इस्तीफा आ गया है। विनय शाक्य ने अपनी मां के साथ स्वामी प्रसाद मौर्य से मुलाकात कर अपने इरादे जाता दिए है।
शाक्य ने जेपी नड्डा को लिखा पत्र
शाक्य ने लिखा है कि प्रदेश सरकार ने अपने 5 साल के कार्यकाल में दलित, पिछड़ों और अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं व जनप्रतिनिधियों को कोई तवज्जों नहीं दी गई और न उन्हें उचित सम्मान दिया गया।
इसके अलावा प्रदेश सरकार द्वारा ही दलितों, पिछड़ों, किसानों व बेरोजगारों नौजवानों और छोटे-लघु एवं मध्यम श्रेणी के व्यापारियों की भी घोर उपेक्षा की गई है।
प्रदेश सरकार के ऐसे कूटनीतिपरक रवैये के कारण मैं भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं। स्वामी प्रसाद मौर्य शोषितों और पीड़ितों की आवाज हैं. वे हमारे नेता हैं, मैं उनके साथ हूं।
बुधवार को ही बीजेपी विधायक अवतार सिंह भड़ाना ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। वह सपा और आरएलडी गठबंधन में शामिल होने वाले हैं।
स्वामी प्रसाद मौर्या के समर्थन में बीजेपी के तीन और विधायकों ने पार्टी छोड़ दी। मंगलवार को बृजेश प्रजापति, रौशन लाल वर्मा और भगवती सागर ने पार्टी छोडऩे का ऐलान कर दिया था। वहीं कांग्रेस के नरेश सैनी औऱ सपा के हरी ओम यादव भाजपा में शामिल हो गए।
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2017 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कानपुर देहात की बिल्हौर सीट पर इतिहास दर्ज करा दिया था। यहां से जाने माने नेता भगवी सागर ने बीजेपी को जीत दिलायी थी।
इस सीट पर बीजेपी को पहली बार जीत मिली थी। अब भगवती सागर ने पार्टी से ही इस्तीफा दे दिया है तो जाहिर सी बात है कि भाजपा को इतिहास दोहराने में मुश्किल हो सकती है।