जुबली ब्यूरो
केरल के तर्ज पर उत्तर प्रदेश में स्टूडेंट पुलिस कैडेट प्रोग्राम की शुरुआत पिछले साल की गई थी लेकिन अब इसको लेकर सवाल उठाया जा रहा है। देश में छात्रों को बुनियादी कानून और पुलिस की कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी देने के लिए पिछले साल जुलाई महीने में जोर-शोर से शुरू किया गया मोदी सरकार का महत्वाकांक्षी स्टूडेंट पुलिस कैडेट (एसपीसी) कार्यक्रम योगी सरकार के नाकारा अधिकारियों की लापरवाही के भेंट चढ़ गया है। इस बात का खुलासा आरटीआई कंसल्टेंट और मानवाधिकार कार्यकर्ता इंजीनियर संजय शर्मा की एक आरटीआई अर्जी से पता चला है। इस बाबत सूबे के पुलिस महानिदेशक कार्यालय के जनसूचना अधिकारी ने अपने जवाब में बताया है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे पिछले साल पुलिस और गृह विभाग की योजनाओं की समीक्षा के बाद इस प्रोग्राम पर अपनी मुहर लगायी थी। बता दें कि पीएम ने स्कूली छात्र-छात्राओं को पुलिस से जोडऩे के लिए पहली बार केरल में इस प्रोग्राम की शुरुआत की थी जिसे खूब पसंद किया गया था। इसके बाद उसी के तर्ज पर यूपी में इसकी शुरुआत की गई लेकिन इसकी पोल अब आरटीआई से खुलती दिख रही है।
आरटीआई द्वारा मिली जानकारी के अनुसार
आरटीआई द्वारा मिली जानकारी के अनुसार स्टूडेंट पुलिस कैडेट (एसपीसी) कार्यक्रम को योगी के मतलबपरस्त और खुदगर्ज अधिकारियों ने मात्र सरकारी टूरों की मौजमस्ती और पद लेकर उसका प्रयोग सस्ती लोकप्रियता लेने तक ही सीमित रखा और कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिए कोई भी कार्यवाही नहीं की। मोदी की इस महत्वाकांक्षी परियोजना की यह दुर्दशा तब है जबकि इस कार्यक्रम के क्रियान्वयन की कमान सूबे के डीजीपी के हाथ में है।
जानकारी के मुताबिक जो सूचना मांगी गई उसके बदल में जो जवाब मिला है, उसके अनुसार केंद्र सरकार ने साल 2017 में ही इस परियोजना के लिए करोड़ों के बजट का आवंटन किया था लेकिन नोडल ऑफिसर ने अपने स्तर से अब तक कोई भी बैठक अनहीं की है। प्रदीप ने संजय को यह भी बताया है कि अभी तक न तो इस कार्यक्रम के क्रियान्वयन का मोड्यूल ही तैयार हो पाया है और न ही इस कार्यक्रम के नीति-नियंताओं ने कार्यक्रम के क्रियान्वयन का कोई लक्ष्य ही निर्धारित किया है।