स्पेशल डेस्क
आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के चीफ मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) जल्द बड़ा फैसला सुना सकता है। इस बीच पड़ोसी देश चीन भारत से मसूद अजहर को लेकर सबूत मांगे हैं।
तीसरी बार है BAN की कोशिश
पुलवामा आतंकी हमले का आरोपी मसूद अजहर पर शिकंजा कसने के लिए भारत हर मुमकिन प्रयास कर रहा है। मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र की आतंकी सूची में शामिल करने का यह तीसरा प्रयास है। इससे पहले भी चीन दो बार 2016 और 2017 में आतंकी मसूद अजहर के ऊपर बैन लगाने के फैसले को लेकर रोड़ा डाल चुका है।
फेल हो सकता है शांति का मिशन
हालांकि, अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता रॉबर्ट ने अपने बयान में कहा कि अमेरिका और चीन इस बात पर सहमत हैं कि क्षेत्र में शांति स्थापित होनी चाहिए। अमेरिका ने साफ शब्दों में कहा कि अगर जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर पर बैन नहीं लगता है कि शांति का मिशन फेल हो सकता है।
कौन-कौन से देश हैं प्रस्ताव के समर्थन में
भारत के अलावा मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित कराने के लिए फ्रांस, रुस और ब्रिटेन ही नहीं अमेरिकी भी पुरजोर कोशिश कर रहा है। ये सभी यूएनएससी में प्रस्ताव ला चुके हैं। इसके अलावा न्यूजीलैंड और इजरायल ने भी इन्हें समर्थन देने की पेशकश की है। सऊदी अरब, यूएई और तुर्की ने भी समर्थन का ऐलान किया है।
मसूद अजहर पर बैन लगा तो क्या होगा
- संयुक्त राष्ट्र संघ के किसी भी सदस्य देश की यात्रा पर रोक लग जाएगी ।
- मसूद की सारी चल और अचल संपत्ति फ्रीज कर दी जाएगी ।
- संयुक्त राष्ट्र से जुड़े देश के लोग किसी तरह की मदद नहीं दे सकेंगे।
- कोई भी देश मसूद को हथियार मुहैया नहीं करा पायेगा।
बताते चले कि भारत पिछले 10 साल से मसूद अजहर को बैन की मांग कर रहा है। सबसे पहले 2009 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा समिति में यह प्रस्ताव रखा गया था। इसके बाद 2016 में भी प्रस्ताव लाया गया लेकिन चीन ने अड़ंगा लगा दिया। 2017 में अमेरिका ने ब्रिटेन और फ्रांस के समर्थन से प्रस्ताव पारित किया था लेकिन चीन ने वीटो कर दिया।