न्यूज डेस्क
उन्नाव रेप कांड की पीड़िता एम्स के ट्रामा सेंटर में भर्ती है। पीडि़ता की हालत अभी ठीक नहीं है। इसलिए ट्रामा सेंटर में ही अस्थायी कोर्ट बनाया गया।
पीड़िता का बयान लेने के लिए ट्रायल कोर्ट के जज धर्मेश शर्मा एम्स ट्रामा सेंटर पहुंचे। इसके अलावा पीड़िता से रेप के आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और उनकी सहयोगी शशि सिंह को भी एम्स के ट्रामा सेंटर में लाया गया। इसी कोर्ट में जज पीड़िता का बयान दर्ज करेंगे। यह सारी प्रक्रिया बंद कमरे में होगी।
गौरतलब है कि जुलाई माह के अंतिम सप्ताह में परिवार के साथ रायबरेली जा रही पीड़िता की कार को एक ट्रक ने टक्कर मार दी थी, जिसमें उसकी चाची समेत दो परिजनों की मौत हो गई थी। सड़क हादसे के इसी मामले में जज बयान लेने के लिए ट्रामा सेंटर में बने अस्थायी कोर्ट में पहुंचे।
तीस हजारी स्थित जिला जज धर्मेश शर्मा की अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जय प्रकाश नारायण अपेक्स ट्रामा सेंटर(एम्स) में अस्थाई कोर्ट बनाने के निर्देश दिए थे। इस विशेष अदालत में बाहरी व्यक्ति या मीडिया को उपस्थित रहने की अनुमति नहीं रहेगी। अदालत ने अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक को विशेष दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
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इस विशेष अदालत में किसी तरह की ऑडियो या वीडियो रिकार्डिंग नहीं होगी। यहां तक की सेमीनार हॉल में लगने वाली इस विशेष अदालत को ध्यान रखते हुए वहां लग हुए सीसीटीवी कैमरों को भी बंद करने की जिम्मेदारी चिकित्सा अधीक्षक को सौंपी गई है। साथ ही किसी भी हाल में पीडि़ता आरोपियों के सामने ना आए, ऐसी व्यवस्था की गई है।
गौरतलब है कि पीड़िता के परिजनों ने इस मामले की सुनवाई को उत्तर प्रदेश के बजाए दिल्ली की अदालत में ट्रांसफर किए जाने की मांग की थी। इसके बाद इस मामले की सुनवाई दिल्ली हाईकोर्ट में हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता के बयान को दर्ज करने के लिए एम्स के ट्रामा सेंटर में ही अस्थायी अदालत बनाने का आदेश दिया था।
गौरतलब है कि उन्नाव की बांगरमऊ सीट से विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर पीड़िता के साथ रेप का आरोप है। इस मामले में वह जेल में बंद हैं। पीड़िता के परिजनों का आरोप है कि विधायक की साजिश पर ही कार को टक्कर मारी गई थी ताकि उसके जीवन को ही खत्म किया जा सके।
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तीस हजारी स्थित जिला जज धर्मेश शर्मा की अदालत ने सुप्रीम के आदेश पर जय प्रकाश नारायण अपेक्स ट्रामा सेंटर(एम्स) में अस्थाई कोर्ट बनाने के निर्देश दिए थे। इस विशेष अदालत में बाहरी व्यक्ति या मीडिया को उपस्थित रहने की अनुमति नहीं रहेगी। अदालत ने अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक को विशेष दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
इस विशेष अदालत में किसी तरह की ऑडियो या वीडियो रिकार्डिंग नहीं होगी। यहां तक की सेमीनार हॉल में लगने वाली इस विशेष अदालत को ध्यान रखते हुए वहां लग हुए सीसीटीवी कैमरों को भी बंद करने की जिम्मेदारी चिकित्सा अधीक्षक को सौंपी गई है। साथ ही किसी भी हाल में पीड़िता आरोपियों के सामने ना आए, ऐसी व्यवस्था की गई है।
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