राजेंद्र कुमार
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने यूपी के सभी विश्वविद्यालय (यूनिवर्सिटी) विद्यार्थियों से केंद्र और राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वे कराने को कहा है.
यहीं नहीं उन्होंने उसकी एक विस्तृत कार्ययोजना बनाकर केन्द्र व राज्य सरकार को सौंपे के निर्देश दिए हैं, ताकि उसके अनुसार सरकार भी अपनी योजना बनाएं. राज्यपाल का मानना है कि इससे ग्रामीण जनता को लाभ होगा और गांवों दशा सुधरेगी.
बीते दिनों राजभवन में आयोजित राज्य विश्वविद्यालयों के कार्य परिषद, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सदस्यों के सम्मेलन में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने ये निर्देश दिए.
यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल गुजरात की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. मई 2014 में वह गुजरात की वह पहली महिला मुख्यमंत्री बनी थी. वह मध्य प्रदेश की राज्यपाल भी रही हैं.
इस नाते उन्हें पता है कि सरकारी योजनाओं का लाभ गांव कस्बे तक पहुंचाने में क्या दिक्कतें आती हैं और सबके सहयोग से उनका निदान कैसे किया जाता है.
अपने इसी अनुभव के आधार पर उन्होंने कुलाधिपति के तौर पर यूपी के सभी विश्वविद्यालयों को कल्याणकारी योजनाओं का सर्वे करने का निर्देश दिया. इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि विश्वविद्यालयों द्वारा किए जाने वाले विभिन्न प्रशिक्षणों में ग्राम प्रधानों और आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को शामिल कर उन्हें केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं और कार्यक्रमों की जानकारी दी जाए ताकि उसका लाभ जनसामान्य को मिल सके. और इसमें हमारे कार्य परिषद के सदस्यों की महत्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए.
यूपी में 20 राज्य विश्वविद्यालय, 30 निजी विश्वविद्यालय और एक डीम्ड विश्वविद्यालय है. राज्यपाल आनंदीबेन पटेल चाहती है कि यूपी के सभी विश्वविद्यालय अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करते हुए विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के सभी उपायों पर अमल करते हुए ग्रामीण क्षेत्रों का भ्रमण करें और वहां चल रही विकास की योजनाओं की गुणवत्ता चेक करें.
और गांवों में विकास कार्यो की गति कैसे तेज की जाए? इसके लेकर सरकार को कार्ययोजना तैयार करें और उसे केंद्र एवं राज्य सरकार को भेजे. इस सोच के आधार पर राज्यपाल ने सभी शिक्षण संस्थाओं को समय के अनुरूप पाठ्यक्रम तैयार करने को भी कहा हैं.
राज्यपाल का कहना है कि हम केवल डिग्रीधारी युवा तैयार न करें बल्कि विद्यार्थियों को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने वाले पाठ्यक्रमों पर बल दें और लघु उद्योग, छोटे स्टार्टअप प्रारम्भ करने के लिए प्रोत्साहित करें. ताकि गांव एवं ग्रामीणों परिवेश में सरकारी योजनाओं के जरिए बदलाव लाया जा सके.