जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. उत्तर प्रदेश में संयुक्त किसान मोर्चा के गठन के लिए लखनऊ के रैदास भवन में प्रदेश के 85 किसान संगठनों की राज्य स्तरीय बैठक हुई. बैठक के बाद उत्तर प्रदेश प्रेस क्लब में पत्रकारों से मुखातिब संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय नेता डॉ. दर्शन पाल, डॉ. अशोक धावले, भाकियू के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हरनाम सिंह, गाजीपुर मोर्चा कमेटी के प्रमुख नेता डी. पी. सिंह और तजिन्दर सिंह विर्क ने बैठक में लिए गए फैसलों तथा किसानों के आने वाले दिनों के लिए तय किये गए कार्यक्रमों से अवगत कराया.
किसान नेताओं ने पत्रकारों को बताया कि संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर 27 सितम्बर को होने वाला भारत बंद का उत्तर प्रदेश में ऐतिहासिक असर देखने को मिलेगा. भारत बंद को सफल बनाने के लिए 17 तारीख को राज्य के सभी जिलों में किसान संगठनों की साझा बैठकें होंगी. जिनमें किसान संगठनों के अलावा ट्रेड यूनियन, युवा संगठनों, ट्रांसपोर्टर्स यूनियन, व्यापारी संगठन, महिला और नागरिक संगठनों को भी शामिल किया जाएगा.
गन्ने के समर्थन मूल्य बढ़ाने, बकाया भुगतान, आवारा पशुओं पर पाबंदी, ट्यूबवेल कनेक्शन पर फ्री बिजली जैसे उत्तर प्रदेश के मुद्दों को शामिल करते हुए राष्ट्रीय किसान आन्दोलन के साथ राज्यव्यापी आन्दोलन का व्यापक फैलाव किया जाएगा. इसी श्रृंखला में पूर्वी उत्तर प्रदेश में आन्दोलन के विस्तार के लिए आगामी सात अक्टूबर को वाराणसी में किसान संगठनों की बैठक होगी.
किसान नेताओं ने बताया कि दो अक्टूबर, गांधी जयंती पर चंपारण से वाराणसी तक 350 किलोमीटर की हजारों लोगों के साथ किसान जनजागरण पदयात्रा बलिया, गाजीपुर होते हुए 20 अक्टूबर को बनारस पहुंचेगी.
मिशन यूपी के तहत भाजपा और एनडीए के सहयोगी दलों के कार्यक्रमों और नेताओं का बहिष्कार का फैसला लिया गया है. इसके साथ ही अंबानी-अडानी-कारपोरेट के उत्पादों और संस्थानों का बहिष्कार किया जाएगा. टोल प्लाजा जनता के लिए टोल मुक्त किए जाएंगे.
संयुक्त किसान मोर्चा, उत्तर प्रदेश की इकाई का गठन कर दिया गया है. जिसमें 85 किसान संगठन शामिल किये गए हैं. सभी संगठनों में समन्वय बनाने तीन सदस्यीय समन्वय समिति भी बनाई गई है.
किसान नेताओं ने बताया कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने यह दावा किया है कि पराली जलाने वाले किसानों पर कोई जुर्माना नहीं वसूला जाएगा जबकि ज़मीनी हकीकत यह है कि यूपी सरकार किसानों से पराली जलाने का एडवांस जुर्माना वसूल चुकी है.
किसानों ने कहा कि हमारा सबसे अहम मुद्दा एमएसपी का है. जिसे हल करने को सरकार तैयार नहीं है. सरकार जिसे एमएसपी बता रही है वह पहले से भी कम दाम है.
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