स्पेशल डेस्क
भारत में इन दिनों चुनावी माहौल चल रहा है। देश की राजनीतिक दल चुनाव जीतने के लिए अपने-अपने दांवे कर रहे हैं लेकिन उनके दावों में कोई खास सच्चाई नहीं होती है। अक्सर चुनाव में वादे किये जाते हैं लेकिन कितने पूरे होते हैं ये हर कोई जानता है। रोजगार को लेकर देश की विभिन्न पार्टियां अपने तरीके से दांवे कर रही है लेकिन अनुमान से ये पता चला है कि हर महीने 26 प्रतिशत नौकरी कम हो रही है। जानकारी के मुताबिक कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ईपीएफओ के आंकड़ों पर नजर दौड़ायी जाये तो साफ हो जायेगा कि देश में लगातार 26 फीसदी रोजगार सृजन में गिरावट देखी जा सकती है। नवंबर 2018 में मामूली वृद्धि इसमें देखी जा सकती है।
औसतन इस साल 1,262 नौकरियों थी। उसके बाद से ये आंकड़ा कमजोर हुआ है। ईपीएफओ 2017 की अवधि से रोजगार सृजन के आंकड़े अभी निकाल रही है। बीते साल अक्टूबर में जारी आंकड़ों पर गौर करे तो सितंबर 2017 से अगस्त 2018 के बीच 6.10 नई नौकरी मिली है। इसके बाद नवम्बर में 1,262 नए रोजगार सृजन हुए।
ईपीएफओ : आंकड़ो के खेल में कितना मिला रोजगार
सितंबर 2017 से अगस्त 2018 के बीच नए रोजगार मिले है। जानकारी के मुताबिक 6.10 लाख प्रति माह रोजगार मिले हैं लेकिन नवंबर में यही आंकड़ा पूरी तरह से बदल गया और 1,262 नए रोजगार सृजन होने की बात कही जा रही है। सितंबर 2017 से अक्टूबर 2018 में रोजगार सृजन कमजोर हुआ है और यह 5.65 लाख प्रति माह पर रुक गया।
इसके बाद नवम्बर तक 4.90 लाख प्रति माह पर ठहर गया। सितंबर 2017-फरवरी 2019 में ये आंकड़ा और गिरकर रोजगार सृजन गिरकर 4,49,261 प्रति माह पर अटक गया है। ईपीएफओ की रिपोर्ट के मुताबिक 17 महीनों में देशभर में 76.48 लाख लोगों को रोजगार मिला। कुल मिलाकर इस गिरावट से युवाओं में काफी निराशा है।
लगातार नौकरी कम हो रही है और देश में बेरोजगारी बढ़ रही है। अब देखना होगा सरकार इससे कैसे पार पाती है।