सुरेंद्र दुबे
आइये सबसे पहले ये देखते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आकाश विजयवर्गिय द्वारा इंदौर नगर निगम के अधिकारी की क्रिकेट बैट से पिटाई किए जाने की घटना पर क्या कहा इसके बाद इस वक्तव्य में प्रधानमंत्री द्वारा कही गई बातों का अर्थ ढूंढने की कोशिश करेंगे।
दिल्ली में मंगलवार को हुई बीजेपी की संसदीय दल की बैठक में पीएम मोदी ने दुर्व्यवहार करने वाले नेताओं को लेकर कड़ी आपत्ति जताई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय द्वारा एक अधिकारी को पीटने से जुड़े घटनाक्रम पर गहरा संज्ञान लेते हुए नसीहत दी कि ‘बेटा किसी का हो, मनमानी नहीं चलेगी।’
उन्होंने कहा कि दुर्व्यवहार को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। पीएम मोदी ने कहा कि राजनीति में अनुशासन होना चाहिए। दुर्व्यवहार करने वाले लोगों को पार्टी से बाहर कर देना चाहिए। ऐसा बर्ताव अस्वीकार्य है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा करने वाले लोग भले ही किसी के भी बेटे हों, लेकिन उन्हें मनमानी की इजाजत नहीं दी जा सकती। उन्होंने यह भी कहा कि यह सभी पर लागू है।
उन्होंने आकाश विजय वर्गिय के पिता कैलाश विजय वर्गिय की आलोचना की और कहा आकाश जैसों लोगों का समर्थन करने वाले लोगों पर भी कार्रवाई की जानी चाहिए।
प्रधानमंत्री का ये वक्तव्य बड़ा ही आदर्शवादी व पूरी पार्टी को संदेश देने वाला है। पर सवाल ये है कि कार्रवाई करेगा कौन। आज भारतीय जनता पार्टी व सरकार में एक छत्र शासन नरेंद्र मोदी का ही है। अब जब वे कह रहें हैं कि आकाश जैसे लोगों को पार्टी से बाहर कर देना चाहिए तो ये काम कौन करेगा। पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह हैं जो उनके सबसे करीबी हैं, पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा हैं जिनकी नियुक्ति उनकी रजामंदी से हुई हैं। जिस तरह का कृत्य विधायक आकाश विजयवर्गीय ने किया, जिससे भाजपा की बड़ी छिछालेदर हुई, अब तक कार्रवाई हो जानी चाहिए थी। मीडिया में काफी हायतौबा मचने के बाद भी आकाश के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। बल्कि उनके पिता कैलाश विजयवर्गीय उनके समर्थन में धृतराष्ट्र की तरह उतर आये।
कैलाश विजयवर्गीय ने टीवी चैनलों पर आकाश की गुण्डागर्दी का न केवल बचाव किया बल्कि सवाल पूछने पर उन्होंने पत्रकारों से कहा कि उनकी औकात क्या है? प्रेस विधायकों के बारे में कोई सवाल नहीं पूछ सकता। पहली बार पता चला कि भाजपा के नेता विधायकों को संविधान और लोकतांत्रिक व्यवस्था से ऊपर समझते हैं। एक तरफ कैलाश विजयवर्गीय की गुण्डागर्दी है, जो नरेंद्र मोदी के लिए वास्तव में चिंता का विषय बनी हुई है।
नरेंद्र मोदी का गुस्सा व चिंता दोनों वाजिब है और वास्तविक मालूम पड़ती हैं। पर क्या आकाश को पार्टी से निकाला जा सकता है। उनके पिता कैलाश विजयवर्गीय भाजपा के कद्दावर नेता हैं और पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी कि सरकार को निस्ते-नाबूत करने के अभियान के प्रमुख सेनापति हैं। उनके प्रयासों से ही लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 18 सीटों पर विजय प्राप्त हुई है। अनेक विधायक व पार्षद टीएमसी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं। आपको बता दें कि तृणमूल कांग्रेस के चार विधायक और 55 पार्षदों ने अपनी पार्टी छोड़ भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी, जिसके बाद तीन नगरपालिकाओं में भाजपा का कब्जा हो गया है।
अब इतनी चमत्कारिक व राजनैतिक महत्व के कामों को अंजाम देने वाले कैलाश विजयवर्गीय के बेटे को पार्टी से निकाला जाएगा, ऐसा राजनैतिक पंडित नहीं मानते हैं और अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो नरेंद्र मोदी की छवि झटका लगना स्वाभाविक है। वैसे तो कहा जाता है कि ‘मोदी है तो मुमकिन हैं’ पर ये वाकई मुमकिन होगा ये देखने की बात होगी।
राजनैतिक गलियारों में ये सवाल इसलिए गूंज रहा है क्योंकि भोपाल की सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह के खिलाफ आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिनके बारे में नरेंद्र मोदी ने कहा था कि साध्वी प्रज्ञा ने भले ही माफी मांग ली हो पर वह उन्हें कभी मन से माफ नहीं कर पाएंगे। आप लोगों को याद हो चुनाव के दौरान साध्वी प्रज्ञा ने भोपाल में कहा था कि महात्मा गांधी के हत्यारे नाथू राम गोड़से देश भक्त थे। पहले भी देश भक्त थे और आगे भी देश भक्त रहेंगे। इस पर जब उन्हें फटकार लगाई गई तो उन्होंने बयान वापस लेते हुए माफी मांग ली।
नाथू राम गोड़से को देश भक्त कहना इस देश के जनमानस को बुरी तरह से उद्वेलित करने वाला था। साध्वी अगर माफी नहीं मांग लेती तो देश में बड़ पैमाने पर अव्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हो जाती। इसके पहले साध्वी ने आईपीएस हेमंत करकरे के विरूद्ध अपमानजनक बयान देकर भाजपा को मुश्किल में डाल दिया था। पर आजतक साध्वी प्रज्ञा के विरूद्ध कोई कारगर कार्रवाई नहीं हुई।
लोकसभा चुनाव में प्रचण्ड बहुमत भी साध्वी के विरूद्ध कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है। सिर्फ कारण बताओ नोटिस जारी हुआ है और उसके बाद मामला ठंडे बस्ते में है, जबकि लोगों को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री की कड़ी नाराजगी के बाद साध्वी प्रज्ञा का भाजपा में रहना मुश्किल हो जाएगा। यहां ये भी उल्लेखनीय है कि प्रज्ञा के खिलाफ तो आजतक कोई कार्रवाई नहीं हुई परंतु उनका समर्थन करने के कारण मध्य प्रदेश बीजेपी के संपर्क विभाग के प्रमुख अनिल सौमित्र पर कार्रवाई जरूर हुई थी।
साध्वी प्रज्ञा की तरह ऊलजलूल व अपमानजनक बयान देने वाले तमाम नेता हैं जो समय-समय पर भाजपा को शर्मशार होने के लिए मजबूर करते रहते हैं। परंतु आजतक इस तरह के नेताओं के खिलाफ ऐसे कोई प्रभावी कदम नहीं उठाये गए जिससे जनता को लगे कि भाजपा नेतृत्व इस तरह के नेताओं को पसंद नहीं करता है। उन्नाव से बीजेपी के सांसद साक्षी महाराज पार्टी अपने विवादित बयानों के लिए अक्सर चर्चा में रहते हैं। इनके अलावा बलिया से बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह इस लिस्ट में सबसे आगे हैं, जिनका काम विवादित बयान देना ही है।
अगर संपूर्ण परिस्थितियों का आंकलन करें तो पता चलता है कि नरेंद्र मोदी इन घटनाओं से वाकई व्यथित रहे होंगे तभी उन्हें पहली बार सध्वी प्रज्ञा मामले पर और कल आकाश विजयवर्गीय मामले पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करनी पड़ी। उनका ये बयान उनकी संवेदनशीलता को भी दर्शता है। परंतु अगर दोनों मामले में कोई कारगर कार्रवाई नहीं होती है तो ये मानने के अलावा कोई कारण नहीं बचेगा कि राजनैतिक मजबूरियां नरेंद्र मोदी जैसे शक्तिशाली व कद्दावर नेता को भी झुकने पर मजबूर कर देती हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)
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