जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. यूक्रेन पर हमला करने वाले रूस को यह युद्ध जितना आसान लगा था उतना आसान वास्तव में यह है नहीं. रूस के सैनिकों ने यूक्रेन पर आसमान से आग बरसाने का काम किया है लेकिन यूक्रेन के आम नागरिक अपने देश को बचाने के लिए अब खुद भी सड़कों पर उतर आये हैं. कल तक अपने घर की छतों से रूसी सैनिकों पर हमला बोलने वाले यूक्रेनी नागरिक अब सड़कों पर निकल आए हैं और रूसी सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं.
यूक्रेन के आम नागरिक एक तरफ रूसी सैनिकों से सीधी लड़ाई लड़ रहे हैं तो दूसरी तरफ वह अपने सैनिकों के लिए पेट्रोल बम बनाने का काम भी कर रहे हैं. इस बीच यूरोपीय देश लातविया ने अपने नागरिकों से कहा है कि अगर वह यूक्रेन की तरफ से रूस से लड़ना चाहते हैं तो उन्हें पूरी छूट है. लातविया की संसद ने इस सम्बन्ध में प्रस्ताव भी पास कर दिया है. लातविया की स्थिति भी यूक्रेन जैसी ही है. यूक्रेन की तरह से लातविया भी रूस से ही टूटकर स्वतंत्र देश बना था. लातविया इस समय नाटो का सदस्य है लेकिन यूक्रेन को नाटो का सदस्य बनते देखकर रूस ने उस पर हमला बोल दिया.
संयुक्त राष्ट्र महासभा के इमरजेंसी सेशन में यूक्रेन मुद्दे पर मतदान किया गया. इस मुद्दे पे पक्ष में 11 और विपक्ष में एक वोट पड़ा. भारत, संयुक्त अरब अमीरात और चीन ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया. इस मामले के पक्ष में 11 वोट पड़ने से भी रूस का नुक्सान हुआ है.
रूस के साथ अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे यूक्रेन ने युद्ध लड़ने के इच्छुक कैदियों को मिलट्री ट्रेनिंग के बाद युद्ध में उतारने का फैसला किया है. युद्ध में जाने से पहले इन कैदियों के सारे मुकदमों को खत्म कर दिया जायेगा. यह कैदी रूस से बिलकुल सैनिक की तरह से लड़ेंगे.
यूक्रेन ने रूस के उस दावे को भी खारिज कर दिया है जिसमें कीव पर कब्ज़ा करने की बात कही गई थी. यूक्रेन ने कहा कि कीव पर कब्ज़े में रूस नाकाम हो गया है. यूक्रेन ने कहा है कि युद्ध में रूस पस्त हो गया है. अब तक लड़ाई में चार हजार 300 (4300) रूसी सैनिक मारे जा चुके हैं. उसके 146 टैंक, 27 विमान और 26 हेलीकाप्टर तबाह हो चुके हैं.
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