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उज्ज्वला योजना : मुफ्त रिफिल के बाद भी नहीं भरवाए गए 9.88 करोड़ सिलेंडर

जुबिली न्यूज डेस्क

कोरोना महामारी के कारण उपजे आर्थिक संकट के मद्देनजर केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत प्रत्येक उज्जवला सिलेंडर धारक को तीन रिफिल मुफ्त देने की योजना बनाई थी। इस दौरान इस योजना के तहत 1अप्रैल से 31 दिसम्बर 2020 के बीच 14.17 करोड़ सिलेंडर मुफ्त रिफिल किए गए।

यह जानकारी पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान लोकसभा में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में दिया। इस योजना का मकसद कोविड महामारी से उपजी आर्थिक तंगी के दौरान लोगों को स्वच्छ ईंधन प्रदान करना था।

किन राज्यों में कितना भरवाया गया मुफ्त सिलेंडर

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार इस योजना के तहत सबसे अधिक गैस सिलेंडर यूपी में में रिफिल किए गए थे। उ

उत्तर प्रदेश में कुल 2.7 करोड़ सिलेंडर रिफिल किए गए थे। इसके बाद नंबर आता है बिहार का। वहां 1.5 करोड़ सिलेंडर रिफिल हुए। इसके बाद मध्य प्रदेश और राजस्थान का नंबर रहा।

इन दोनों राज्यों में करीब 1.1 करोड़ गैस सिलेंडर रिफिल हुए थे। वहीं ओडिशा में 83.7 लाख तो महाराष्ट्र में 76.3 लाख सिलेंडर रिफिल हुए।

इसके अलावा तमिलनाडु में 61.9 लाख, कर्नाटक में 57.2 लाख, झारखण्ड में 53.8 लाख और असम में 52.9 लाख गैस सिलेंडर रिफिल हुए थे।

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कोविड महामारी के दौरान चलायी गई इस योजना के अनुसार पिछले साल अप्रैल से दिसंबर माह के बीच प्रत्येक उज्ज्वला कनेक्शन पर 3 मुफ्त सिलेंडर भरे जा रहे थे।

पूरे देश में उज्ज्वला योजना के तहत 8.02 करोड़ कनेक्शन जरूरतमंद परिवारों को दिए गए थे, तो इस हिसाब से करीब 24.05 करोड़ सिलेंडर रिफिल होने चाहिए थे।

लेकिन इस अवधि के दौरान सिर्फ 14.17 करोड़ सिलेंडर मुफ्त भरवाए गए। इस हिसाब से देखें तो पता चलता है कि इस दौरान 9.88 करोड़ सिलेंडर नहीं भराए गए, जोकि मुफ्त मिल रहे थे।

इससे पता चलता है कि या तो जरुरतमंद परिवारों को मुफ्त सिलेंडर की जरूरत नहीं, या फिर उन्हें इस योजना के बारे में जानकारी नहीं थी। दूसरी वजह यह भी हो सकती है कि वो मुफ्त सिलेंडर इसलिए रिफिल नहीं करवा पाए क्योंकि उनकी पहुंच से दूर था। इसीलिए वो इस योजना का फायदा नहीं उठा पाए।

पिछले काफी समय से यह सवाल उठ रहा है कि उज्ज्वला योजना के लाभार्थी सिलेंडर नहीं भराते। इस योजना का पूरा लाभ न उठा पाना एक बड़ी समस्या है। इसके पीछे कई कारण हैं।

क्या है उज्ज्वला योजना ?

“स्वच्छ ईंधन, बेहतर जीवन” के नारे के साथ शुरु की गई उज्ज्वला योजना एक बेहतरीन योजना है। मोदी सरकार ने मई 2016 को उज्ज्वला योजना की शुरुआत की थी।

सरकार के आंकड़ों के मुताबिक अब तक इस योजना के तहत गरीब तबके को रियायती दर पर करीब 8.01 करोड़ एलपीजी कनेक्शन दिए जा चुके हैं। जिसके बाद देश में खाना बनाने को लेकर स्वच्छ ईंधन के इस्तेमाल में बढ़ोत्तरी हुई है।

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स्वच्छ ईंधन के मामले में कई राज्य थे काफी पीछे

कुछ दिनों पहले जारी हुए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2019-20 (एनएफएचएस -5) में भी ये खुलासा हुआ था कि बिहार और मेघालय जैसे कई राज्यों में 60 प्रतिशत से अधिक घरों में खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन का प्रयोग नहीं होता।

एनएफएचएस -5 के आंकड़ों के अनुसार मेघालय में केवल 33.7 प्रतिशत घरों में साफ ईंधन का उपयोग किया जा रहा है। यही हाल बिहार में भी है, जहां सिर्फ 37.8 प्रतिशत घरों में खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन का उपयोग किया जा रहा है।

सरकार के तमाम योजनाओं के बाद भी शहरों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति अब भी बदतर है। जहां बंगाल की केवल 20.5 प्रतिशत आबादी स्वच्छ ईंधन का उपयोग कर रही है तो वहीं मेघालय (21.7), बिहार (30.3), नागालैंड (24.9), त्रिपुरा (32.6), असम (33.7), लक्षद्वीप (24.7), हिमाचल प्रदेश (44.5) और गुजरात (46.1) की स्थिति भी कोई खास अच्छी नहीं है।

ऐसा नहीं है कि इस दिशा में सुधार नहीं हो रहा है। सुधार हो रहा है लेकिन अभी उतना नहीं है कि जिस पर देश गर्व कर सके। अभी इस दिशा में बहुत कुछ किया जाना है।

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