जुबिली स्पेशल डेस्क
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन एकाएक सुर्खियों में आ गए है। उनके एक बयान से सियासी बवाल मच गया है।
अब सवाल है कि उन्होंने ऐसा क्या कहा था कि तमिलनाडु की सियासत में बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। दरअसल उन्होंने सनातन धर्म को लेकर बयान दिया था ।
उन्होंने अपने बयान में कहा था कि सनातन का सिर्फ विरोध नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि, इसे समाप्त ही कर देना चाहिए।
उदयनिधि ने एक बार फिर सनातन को लेकर बयान दिया और कहा बीजेपी ने मेरे बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया और देश के लोगों ने उस पर चर्चा की।
उन्होंने कहा, ‘मुझे माफी मांगने के लिए कहा गया था, पर मैं कोई माफी नहीं मांगने वाला क्योंकि मैं स्टालिन का बेटा हूं और करूणानीधि का पोता हूं. मैं वही follow कर रहा हूं जो उनकी ideology है। ‘
उदयनिधि ने कहा,’मैं (चेन्नई में) एक सम्मेलन में भाग ले रहा था और केवल तीन मिनट बोला. मैंने जो कुछ कहा वह यह था कि सभी के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए और उनके साथ भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए, और भेदभाव के किसी भी प्रयास को खत्म किया जाना चाहिए. लेकिन उन्होंने (बीजेपी) मेरे बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया, इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया और पूरे देश में मेरे बारे में बात करने पर मजबूर कर दिया।’
उदयनिधि ने आगे कहा,’प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश चुनाव प्रचार में मेरे बारे में बात की. उन्होंने कहा कि मैंने नरसंहार का आह्वान किया है, लेकिन उन्होंने ऐसी बातें कहीं जो मैंने नहीं कही थी. कुछ संतों ने मेरे सिर पर 5-10 करोड़ का इनाम घोषित कर दिया।
मामला फिलहाल कोर्ट में है और मुझे कानून पर पूरा भरोसा है।मुझसे अपने बयान के लिए माफी मांगने को कहा गया. लेकिन मैंने कहा कि मैं माफी नहीं मांग सकता. मैंने कहा कि मैं स्टालिन का बेटा, कलैग्नार का पोता हूं और मैं केवल उनके द्वारा समर्थित विचारधारा को व्यक्त कर रहा था।’
पहले क्या कहा था
तमिलनाडु की सत्ता पर काबिज डीएमके सरकार में युवा कल्याण और खेल विकास मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने कहा,’सनातन नाम संस्कृत का है। यह सामाजिक न्याय और समानता के खिलाफ है।
उनके इस बयान पर बीजेपी ने कड़ा विरोध दर्ज कराया है। उनके इस बयान से कांग्रेस ने अपने आपको एकदम से अलग कर लिया है जबकि बीजेपी ने इसे जीनोसाइड कॉल बताया है, वहीं आरजेडी ने इस बयान के लिए माफी मांगने की मांग कर दी है। वहीं बयान पर बवाल के बाद डीएमके की ओर से भी सफाई आई है।
अब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियंक खरगे ने भी उदयनिधि के सुर में सुर मिलाते हुए नज़र आ रहे है। प्रियंक खरगे का कहना है कि जो धर्म समानता को नहीं मानता है, वह धर्म नहीं बल्कि बीमारी है।