जुबिली स्पेशल डेस्क
मुंबई। राष्ट्रपति चुनाव में शिवसेना ने एनडीए की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने का फैसला किया है लेकिन इस दौरान उसने ये भी साफ कर दिया है कि वो बीजेपी का समर्थन नहीं कर रही है बल्कि आदिवासी नेता का समर्थन कर रही है लेकिन इसके बावजूद उद्धव ठाकरे को साइडलाइन कर दिया गया है। जानकरी के मुताबिक समर्थन के बाद भी द्रौपदी मुर्मू से मिलने का न्योता उद्धव ठाकरे को नहीं दिया गया है।
बताया जा रहा है कि भाजपा ने अपने सभी 106 विधायकों से गुरुवार सुबह तक मुंबई पहुंचने के लिए कहा है। साथ ही शिवसेना के 40 विधायकों समेत शिंदे कैंप के 50 विधायकों को भी बैठक में शामिल होने के लिए कहा गया है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना को मुर्मू से मिलने के लिए बुलाया नहीं गया है। ऐसे में उद्धव ठाकरे के लिए ये एक बड़ा झटका है।
उधर अंग्रेजी अखबार के हवाले से बताया गया है कि ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना को गुरुवार को मुर्मू के साथ होने वाली बैठक में बुलाया नहीं गया है। अखबार ने ठाकरे कैंप में शामिल शिवसेना सांसद विनायक राउत से इस बारे में बात की है तो उन्होंने कहा कि हमें अभी तक भाजपा या किसी से भी द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात को लेकर कोई निमंत्रण नहीं मिला है। तो कोई सवाल ही नहीं है कि शिवसेना गुरुवार को होने वाली बैठक में शामिल हो।
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चूंकि वह आदिवासी महिला हैं इसलिए अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने उनका समर्थन करने का फैसला किया है और कुछ नहीं। कुल मिलाकर देखा जाये तो उद्धव ठाकरे को पूरी तरह से अलग-थलग करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। वहीं द्रौपदी मुर्मू के समर्थन करने से कांग्रेस और उसके सहयोगी भी उद्धव ठाकरे से नाराज हो गए थे।