न्यूज डेस्क
महाराष्ट्र में सत्ता बनाने के लिए जितनी मेहनत शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को करनी पड़ी थी, उससे ज्यादा मेहनत अब उन्हें सरकार चलाने के लिए करनी पड़ रही है। शिवसेना से इतर विचारधारा की कांग्रेस और एनसीपी ने मिलकर सरकार तो बना लिया है लेकिन अब इन तीनों के बीच का वैचारिक मतभेद सामने आने लगा है। उद्धव के फैसले पर उसकी सहयोग एनसीपी और कांग्रेस की प्रतिक्रिया अक्सर देखने को मिलती है। एक बार फिर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के फैसले पर कांग्रेस ने टिप्पणी की है।
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को लेकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि उन्हें राज्य में एनपीआर को अपडेट करने की कवायद से कोई परेशानी नहीं है। ठाकरे के इस बयान पर 19 फरवरी को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व महाराष्ट्र के प्रभारी ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी महासचिव मल्लिकार्जुन खड़गे ने नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने ठाकरे को याद दिलाया है कि वह भी गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ठाकरे को खरी-खरी सुनाते हुए खड़गे ने कहा कि एनपीआर पर आपकी मनमर्जी नहीं चलेगी। गठबंधन में हैं तो तीनों दल फैसला करेंगे।
खड़गे ने कहा कि कांग्रेस का रूख पूरी तरह साफ है। हम एनपीआर लागू नहीं करेंगे। वह (उद्धव ठाकरे) जो कह रहे हैं, यह उनका पक्ष है। हम उन्हें (ठाकरे) बताएंगे कि निर्णय तीनों पक्षों को एक साथ लेना चाहिए, क्योंकि यह तिरंगा का फैसला है, अकेले भगवा का नहीं। जब तक तीनों पक्ष मिलकर फैसला नहीं लेते हैं, उन्हें राज्य में एनपीआर की अनुमति नहीं देनी चाहिए।”
वहीं शिवसेना सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एनपीआर पर अच्छी तरह से विचार किया था। फिलहाल अब इसमें उलटफेर का कोई सवाल ही नहीं है। साथ ही यह भी कहा कि एनपीआर और भीमा कोरेगांव मुद्दों पर उनके मतभेदों की वजह से गठबंधन सरकार पर कोई खतरा नहीं है।
यह भी पढ़ें : मोदी का लिट्टी-चोखा खाना और बिहार विधानसभा चुनाव
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने 17 फरवरी को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उनकी सरकार महाराष्ट्र में एनपीआर को अपडेट करने के लिए डेटा संग्रह के काम को बाधित नहीं करेगी। उन्होंने कहा, “एनपीआर एनआरसी से अलग है। यह जनगणना का हिस्सा है। यह हर 10 साल में होता है।”
हालांकि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने यह स्पष्ट किया कि उनकी सरकार एनआरसी का समर्थन नहीं करेगी। नागरिकता संसोधन कानून के कार्यान्वयन के बारे में उन्होंने कहा कि यह भारत में किसी को प्रभावित नहीं करेगा।
उद्धव के इस बयान पर कांग्रेस नेता खड़गे ने कहा कि एनपीआर और जनगणना अलग-अलग हैं। एनपीआर में जन्मभूमि और पिता और माता की जन्मतिथि जैसे अतिरिक्त प्रश्न रखे गए हैं। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्गों के अशिक्षित लोग अपना जन्मस्थान या माता-पिता की जन्मतिथि नहीं बता सकते हैं।
यह भी पढ़ें : गृभगृह से बाहर आएंगे रामलला, फाइबर का बनेगा अस्थाई मंदिर
उन्होंने आगे कहा, “सर्वेक्षण करते समय वे व्यक्ति के नाम के साथ ‘संदिग्ध’ लिखेंगे। आपको संदिग्ध श्रेणी में रखा जाएगा। और जब कल वे एनआरसी लाएंगे… उस समय वे कहेंगे यह संदिग्ध व्यक्ति है और इसकी आगे की जांच होनी चाहिए। जब तक कि जांच पूरी नहीं हो जाती, उसे कोई सुविधा नहीं मिलेगी। उसे तहसीलदार कार्यालय से लेकर, एसी कार्यालय, डीसी कार्यालय, उसके बाद अदालतों का तक दौड़ लगानी पड़ेगी। इससे उन लोगों को परेशान किया जाएगा जो पहले से ही देश के नागरिक हैं।”
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “कांग्रेस पूरे देश के लिए जो निर्णय लेगी, वही महाराष्ट्र में भी लागू होगा। महाराष्ट्र कोई अपवाद नहीं है।”
यह भी पढ़ें : ‘कतनो खईब लिट्टी चोखा, बिहार न भुली राउर धोखा’
यह भी पढ़ें : चर्चित गुलशन कुमार हत्याकांड में बड़ा खुलासा