न्यूज डेस्क
देश में कोरोना वायरस के चलते 21 दिनों का लॉकडाउन लागू है, जो 14 अप्रैल तक रहेगा। हालांकि पिछले एक हफ्ते में जिस तरह से संक्रमित मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है उसके बाद ऐसी चर्चाएं तेज हो गईं हैं कि देश में लॉक डाउन को बढ़ाया जा सकता है। इस बीच महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे के सामने कोरोना वायरस से लड़ने के साथ ही अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाने की दोहरी चुनौती खड़ी हो गई है।
दरअसल, सीएम उद्धव महाराष्ट्र के किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं यानी न तो विधानसभा (एमएलए) और न ही विधान परिषद (एमएलसी) के सदस्य हैं। अब कोरोना के खतरों की वजह से महाराष्ट्र में एमलसी का होना वाला चुनाव टाल दिया गया है, जिसके चलते उद्धव के सामने सीएम पद को बचाए रखने की मुश्किल खड़ी हो गई है।
ऐसे में राज्य की कैबिनेट ने उन्हें राज्यपाल की ओर से मनोनीत किए जाने को लेकर प्रस्ताव भेजने का फैसला किया है। राज्यपाल 2 सदस्यों को मनोनीत कर सकते हैं।
A decision was taken in today’s cabinet meeting to recommend CM Uddhav Thackeray’s name for the 2 vacant MLC posts that are recommended by Governor. As MLC elections can’t be held due to #COVID19, it is being done to avoid a constitutional crisis: Maharashtra Minister Nawab Malik pic.twitter.com/kIwkhaif5p
— ANI (@ANI) April 9, 2020
महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक ने गुरुवार को बताया,
‘आज की कैबिनेट बैठक में फैसला लिया गया है कि राज्यपाल की ओर से मनोनीत किए जाने वाले 2 सदस्यों के खाली पदों में एक सीट के लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नाम की सिपारिश की जाएगी। क्योंकि कोरोना वायरस की वजह से अभी एमएलसी चुनाव नहीं हो सकते हैं। यह संवैधानिक संकट को टालने की वजह से किया जा रहा है।’
गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र में विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा था। उनके बेटे आदित्य ठाकरे चुनाव लड़ने वाले परिवार के पहले सदस्य रहे। लेकिन चुनाव बाद बीजेपी से रिश्ता बिगड़ा तो शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के सहयोग से सरकार बना ली। गठबंधन सहयोगियों ने उद्धव को मुख्यमंत्री बनाए जाने की शर्त पर सर्मथन दिया। ऐसे में विधायक बने बिना ही उद्धव ने सत्ता संभाल ली।
नियम के मुताबिक, विधायक दल का नेता किसी भी व्यक्ति को चुना जा सकता है भले ही वह विधानसभा या विधानपरिषद का सदस्य हो अथवा नहीं। लेकिन छह महीने के भीतर विधानसभा या विधानपरिषद (जिन राज्यों में है) का सदस्य होना अनिवार्य होता है। उद्धव ठाकरे के लिए समयसीमा अगले महीने खत्म हो रही है। उन्होंने 28 नवंबर 2019 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।