जुबिली न्यूज़ डेस्क
लखनऊ. एक-दो बार नहीं बल्कि पच्चीस बार मौत उसे छूकर निकल गई और वो जान भी नहीं पाया. छब्बीसवीं बार भी उसे मौत ने दावत दी और मोटरसायकिल उठाकर वह चल पड़ा, लेकिन इस बार मौत ने उसे नहीं बक्शा.
मामला उत्तर प्रदेश के खुर्जा का है. मार्बल व्यवसायी विवेक उर्फ़ विक्की और धर्मेन्द्र बहुत करीबी दोस्त थे. इस दोस्ती के बीच अचानक से पैसा आ गया. दोनों दोस्तों के बीच लेनदेन को लेकर ठन गई. विवेक ने तय किया कि लॉकडाउन के दौर में ही धर्मेन्द्र को खत्म कर दिया जाये.
विवेक ने धर्मेन्द्र को अपने मार्बल गोदाम पर दावत में बुलाया. दावत के बाद धर्मेन्द्र को मार देने का प्लान था, लेकिन दावत के बीच ही और दोस्त पहुँच गए. इस तरह से धर्मेन्द्र की जान बच गई. यह सिलसिला 25 बार चला. तीन महीने में विवेक ने धर्मेन्द्र की 25 दावतें कीं.
विवेक जब भी धर्मेन्द्र को दावत पर बुलाता था पता नहीं कैसे अन्य दोस्तों को खबर हो जाती थी. विवेक ने छब्बीसवीं बार फिर कोशिश की. इस बार दावत से पहले ही उसका काम तमाम कर दिया और नौकरों के साथ मिलकर गोदाम में ही लाश को ठिकाने लगा दिया.
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छह दिन तक पुलिस और धर्मेन्द्र का परिवार उसकी तलाश करते रहे. विवेक भी लगातार उसे तलाशने का नाटक कर रहा था लेकिन इसी बीच किसी मुखबिर ने पुलिस को धर्मेन्द्र की हत्या के बारे में बता दिया. मार्बल गोदाम से लाश बरामद होने के बाद विवेक ने पुलिस के सामने अपना जुर्म क़ुबूल कर लिया.