जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. ज़रूरतमंद ईमानदार सोच के साथ मेहनत का रास्ता अपनाए तो पता नहीं कहाँ किस शक्ल में मददगार मिल जाए. झारखंड के जमशेदपुर की एक बच्ची के साथ कुछ ऐसा ही हुआ.
जमशेदपुर में रहने वाली 11 साल की तुलसी ऑनलाइन क्लास नहीं कर पा रही थी क्योंकि उसके पास मोबाइल फोन नहीं था. इस बच्ची ने फोन खरीदने के लिए मेहनत का रास्ता अपनाया. वह बाग़ से रोजाना पेड़ से गिरे हुए आम चुनकर लाती और उन्हें सड़क के किनारे बैठकर बेच देती.
तुलसी रोज़ की तरह सुबह-सुबह सड़क किनारे आम बेचने के लिए पहुंची. वह आम की दुकान सजाये बैठी थी कि इसी बीच मुम्बई की एक प्राइवेट कम्पनी वैल्युएबल एडुटेंमेंट के वाइस चेयरमैन नरेन्द्र हेते जमशेदपुर की उस सड़क से गुज़रे. सड़क किनारे आम बेचती बच्ची को देखकर उन्होंने कार रुकवाई. उनकी पारखी नज़रों ने फ़ौरन पहचान लिया कि यह बच्ची सिर्फ पैसा कमाने के लिए आम नहीं बेच रही है. उन्होंने वहीं सड़क पर बैठकर उस बच्ची से बातचीत की तो तुलसी बोली अंकल ऑनलाइन क्लास नहीं कर पाती हूँ क्योंकि मेरे पास स्मार्ट फोन नहीं है. रोज़ आम बेचती हूँ और पैसा जमा कर देती हूँ.
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तुलसी की मेहनत से वह इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने तुलसी के सामने रखे सभी 12 आम दस-दस हज़ार रुपये के हिसाब से खरीद लिए. उन्होंने उसे एक लाख बीस हज़ार रुपये दिए. साथ ही उन्होंने उसका मोबाइल पूरे साल भर के लिए रीचार्ज करवा दिया ताकि उसकी पढ़ाई में कोई रुकावट न आये. इस एक लाख बीस हज़ार रुपये में से उन्होंने तुलसी को 13 हज़ार रुपये का मोबाइल दिलवाया और बाकी रुपये तुलसी के नाम से बैंक में फिक्स करवा दिए. इन पैसों के ब्याज से तुलसी की पढ़ाई जारी रहेगी.