न्यूज़ डेस्क
दावोस। असमानता बढ़ने के साथ दुनिया भर में विभिन्न संस्थानों को लेकर भरोसा टूट रहा है। खासकर सरकारों और मीडिया को लेकर भरोसा कम हुआ है। हालांकि चीन और भारत दो ऐसे देश है जहां सरकार और दूसरे संस्थानों के प्रति विश्वास का स्तर अन्य देशों के मुकाबले ऊंचा है। एक सर्वेक्षण में यह कहा गया है। मंगलवार को जारी ‘एडेलमेन ट्रस्ट बैरोमीटर’ में यह कहा गया है।
दूसरी तरफ भारत की गिनती उन देशों में प्रमुख है, जहां रोजगार खोने को लेकर चिंता सर्वाधिक है। चीन उसकी आबादी के बड़े हिस्से के बीच भरोसे के मामले में सूची में अव्वल है जबकि इस मामले में भारत दूसरे स्थान पर है। वहीं रूस दोनों मामलों में निचले पायदान पर रहा है।
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इस सर्वे में कहा गया है कि मजबूत वैश्विक अर्थव्यवस्था और लगभग पूर्ण रोजगार की स्थिति के बावजूद हर विकसित बाजार में बहुसंख्यक प्रतिभागियों को इस बारे में भरोसा नहीं है कि उनकी स्थिति पांच साल में बेतहर होगी और 56 प्रतिशत का मानना है कि मौजूदा रूप में पूंजीवाद भलाई करने के मुकाबले नुकसान ज्यादा कर रहा है।
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एडेलमैन के मुख्य कार्यपालक अधिकारी रिचर्ड एडेलमैन ने कहा,‘हम भरोसे की कमी की स्थिति में जी रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘हमने 20 साल पहले भरोसे का आकलन शुरू किया। आर्थिक वृद्धि ने विश्वास को बढ़ाया है। यह एशिया और पश्चिम एशिया में बना हुआ है लेकिन विकसित बाजारों में ऐसा नहीं है।
विकसित देशों में राष्ट्रीय आय में असमानता अब महत्वपूर्ण कारक बन गई है। आशंका उम्मीदों का गला घोंट रही है। लंबे समय से जो यह धारणा रही है कि कठिन मेहनत से हम ऊपर जाएंगे, वह अब महत्वहीन हो रहा है।
सर्वे के अनुसार, ‘यह चिंता व्यापक स्तर पर है। वैश्विक स्तर पर ज्यादातर कर्मचारी (83 प्रतिशत) स्वचालन, लंबे समय से चली आ रही नरमी, प्रशिक्षण का अभाव, सस्ती विदेशी प्रतिस्पर्धा, आव्रजन और अस्थायी रोजगार वाली अर्थव्यवस्था के कारण नौकरी जाने की आशंका को लेकर चिंतित हैं।’
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इसमें कहा गया है कि सर्वे में शामिल लोगों में से 57 प्रतिशत प्रतिभागी मान-सम्मान जाने को लेकर चिंतित हैं। उन्हें भय है कि उन्हें जो सम्मान मिल रहा है, उसमें कमी आ सकती है। करीब दो तिहाई लोगों का मानना है कि प्रौद्योगिकी में बदलाव काफी तेज है।
76 प्रतिशत ने कहा कि फर्जी खबर को हथियार के रूप में उपयोग किया जा रहा है और वे इसको लेकर चिंतित हैं। सर्वे के अनुसार ऐसा माना जा रहा है कि सीईओ आगे बढ़कर अगुवाई करेंगे।
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92 प्रतिशत कर्मचारियों ने कहा कि सीईओ को फिर से प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी नीति परक उपयोग और आय असमानता समेत वर्तमान मसलों पर बोलना चाहिए। सर्वे में सरकारों को अयोग्य और बेईमान माना गया है लेकिन पर्यावरण संरक्षण और आय असमानता दूर करने के मामले में कंपनियों के मुकाबले ज्यादा भरोसेमंद माना गया है। इसमें मीडिया को भी अयोग्य और बेईमान माना गया है।
सर्वे में शामिल लोगों में से 57 प्रतिशत का मानना है कि मीडिया अपना काम सही तरीके से नहीं कर रहा। हालांकि, सर्वे में माना गया है कि कंपनियां और सरकारें उच्च भरोसा हासिल करने के लिये कदम उठा सकती हैं। प्रतिभागियों को उम्मीद है कि कंपनियां सही वेतन और प्रशिक्षण देने पर ध्यान देगी।
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