जुबिली न्यूज डेस्क
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलवार को राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से मिलकर उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया है। इसके साथ ही प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर दो दिनों से चल रही कयासबाजी पर विराम लग गया है।
नए मुख्यमंत्री के लिए सांसद अनिल बलूनी, अजय भट्ट और प्रदेश सरकार के मंत्री धन सिंह रावत प्रबल दावेदार बताए जा रहे हैं। आज रात तक केंद्रीय पर्यवेक्षक रमन सिंह और दुष्यंत गौतम के देहरादून पहुंचने की उम्मीद है। इसके बाद कल या परसों उत्तराखंड बीजेपी विधायक दल की बैठक में नए मुख्यमंत्री का फैसला होगा।
BJP legislature party meeting is scheduled to be held at 10 am tomorrow at the party office: Trivendra Singh Rawat pic.twitter.com/4ZAfUd8obh
— ANI (@ANI) March 9, 2021
इस्तीफा देने के बाद उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बीजेपी में फैसले सामुहिक होता है। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि पार्टी ने मुझे चार साल तक इस राज्य की सेवा करने का सुनहरा अवसर दिया। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे ऐसा मौका मिलेगा। पार्टी ने अब निर्णय लिया है कि सीएम के रूप में सेवा करने का अवसर अब किसी और को दिया जाना चाहिए। सीएम के रूप में मुझे चार वर्ष में 9 दिन कम रह गए हैं।
बताया जा रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद से हटाने का फैसला पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के आधार पर लिया है। पर्यवेक्षकों ने कोर ग्रुप और प्रमुख विधायकों-सांसदों की राय के आधार पर केंद्रीय नेतृत्व ने को बताया है कि राज्य में अगले साल होने वाले चुनाव को लेकर स्थिति बहुत अच्छी नहीं है।
इसके बाद से ही राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की भूमिका तैयार हो गई थी। सोमवार देर शाम जब त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी, तो उन्हें इस बारे में सूचित कर दिया गया था। दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात के बाद रावत मंगलवार दोपहर देहरादून पहुंचे।
राज्य के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर तीन नाम सबसे आगे चल रहे हैं। माना जा रहा है कि राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी, नैनीताल से लोकसभा सांसद अजय भट्ट और कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत में से किसी को राज्य के अगले मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
इसके अलावा सतपाल महाराज का नाम भी रेस मे शामिल है। उन्होंने हाल ही में संघ के प्रणुख नेताओं से इस सिलसिले में मुलाकात की थी। बता दें कि साल 2000 में राज्य गठन के बाद से कांग्रेस के नारायण दत्त तिवारी के अलावा कोई भी मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है।
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सूत्रों की मानें तो पार्टी के विधायकों ने उत्तराखंड पहुंच पर्यवेक्षकों के सामने यह आशंका जताई थी कि यदि त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री रहे तो पार्टी अगला चुनाव हार सकती है। दिल्ली से विशेषतौर से भेजे गए पर्यवेक्षक रमन सिंह की अध्यक्षता में हुई कोर कमेटी की बैठक के बाद सिंह ने अपनी रिपोर्ट पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को सौंपी थी।
सूत्रों के अनुसार, उत्तराखंड में असंतुष्ट नेताओं सहित बेलगाम होती ब्यूरोक्रेसी सहित मंत्रिमंडल विस्तार में देरी बातों का उल्लेख किया गया है। रिपोर्ट के आधार पर ही सीएम त्रिवेंद्र के भाग्य का फैसला हुआ है।