जुबिली न्यूज डेस्क
त्रिपुरा में भारतीय जनता पार्टी की पहली सरकार पर राजनीतिक संकट के बादल मंडराने लगे हैं। बिप्लब देब के नेतृत्व वाली बीजेपी की पहली सरकार में बगावत के स्वर इतने मुखर हो गए हैं कि अब नेतृत्व बदलने की मांग हो रही है और कुछ बागी बीजेपी नेता अपने लिए बड़ी भूमिका की मांग कर रहे हैं।
दरअसल, त्रिपुरा भाजपा में फूट उस वक्त सामने आई, जब पार्टी के 12 असंतुष्ट विधायकों के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा से मिलने और उन्हें राज्य में ‘खराब शासन’ से अवगत कराने के लिए दिल्ली में होने की जानकारी मिली। इन असंतुष्ट विधायकों का कहना है कि इससे 2023 के विधानसभा चुनावों में सरकार गिर भी सकती है।
विधायकों के दल में राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सुदीप रॉय बर्मन, अशीष साहा, सुशांत चौधरी, राम प्रसाद पाल और दीबा चंद्र हरंखाल शामिल हैं। सूत्रों की मानें तो बुधवार से ही बागी बीजेपी विधायकों का यह दल दिल्ली में डेरा जमाए हुए हैं।
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बागी विधायकों में से ज्यादातर कांग्रेस से आए हुए हैं। ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि क्या केंद्रीय बीजेपी नेतृत्व भाजपा के बागी विधायकों को खुश करने के लिए कुछ कड़े फैसले लेता है या फिर बिप्लब देब के खिलाफ बगावत के स्वर को शांत करता है।
बागी विधायकों के दल के एक सदस्य ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा, ‘भाजपा के 36 में से 25 विधायक अब बदलाव चाहते हैं और बिप्लब कुमार देब के नेतृत्व वाली मंत्रिपरिषद में समुचित हेरफेर चाहते हैं, जिससे लोगों को अच्छा शासन दिया जा सके।’ उन्होंने आरोप लगाया कि देब के ‘खराब नेतृत्व और कुशासन’ ने राज्य में पार्टी को बर्बाद कर दिया है यह अब ‘लोगों से कट गई है लेकिन खोई हुई जमीन को अच्छे शासन से फिर हासिल किया जा सकता है।’
दरअसल, फरवरी 2018 में हुए विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा में शामिल हुए युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुशांत चौधरी ने बताया कि उन्हें मौजूदा स्थिति पर चर्चा के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा और संगठन के अन्य नेताओं से मुलाकात की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात का समय लेने की भी योजना है। सुदीप रॉय बर्मन त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री सुधीर रॉय बर्मन के बेटे हैं।
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यह पूछे जाने पर कि क्या वह देब को मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने की मांग करेंगे, उन्होंने कहा कि त्रिपुरा में जो हो रहा है हम उससे केंद्रीय नेतृत्व को अवगत कराएंगे। वे तय करेंगे कि उन्हें मामले में हस्तक्षेप करना है या नहीं। हमारी लड़ाई भाजपा की विचारधारा के खिलाफ नहीं है। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के नेतृत्व में हमें पूरा भरोसा है।
गौरतलब है कि त्रिपुरा में 60 सदस्यीय विधानसभा में स्थानीय संगठन और सहयोगी आईपीएफटी के आठ सदस्यों के साथ भाजपा के 36 विधायक हैं। माकपा के 16 विधायक हैं।
हालांकि, यहां देखने वाली बात होगी कि केंद्रीय बीजेपी नेतृत्व बागी विधायकों के इस रवैए पर क्या रुख अपनाता है। बहरहाल, इससे पहले प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ. माणिक साहा ने शनिवार को एक स्थानीय टीवी चैनल को दिये साक्षात्कार में कहा था कि उन्हें कुछ विधायकों के दिल्ली में होने की जानकारी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी का अनुशासन भंग होने पर कार्रवाई की जाएगी।