जुबिली न्यूज डेस्क
पिछले दिनों त्रिपुरा में गिरफ्तार की गई दो महिला पत्रकारों के बारे में राज्य के सूचना व संस्कृति मंत्री सुशांत चौधरी ने कहा कि ये महिलाएं एक राजनीतिक पार्टी की एजेंट थी। ये दोनों सांप्रदायिक सौहार्द बिगाडऩे आई थीं।
फिलहाल महिला पत्रकारों को जमानत मिल गई है। महिला पत्रकारों की गिरफ्तारी और रिहाई और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सरकार को झटका लगा है., लेकिन इसके बाद भी ऐसे खातों की निगरानी जारी है।
त्रिपुरा में पिछले कुछ दिनों से कथित सांप्रदायिक हिंसा के मुद्दे पर माहौल खराब है। सोशल मीडिया पर इसकी आलोचना करने वालों के खिलाफ पुलिस अभियान थमने का नाम नहीं ले रहा।
पुलिस ऐसे अनेक आलोचकों के सोशल मीडिया अकाउंट पर करीबी निगाह बनाए हुए है।
दो सप्ताह पहले पुलिस ने ट्विटर से ऐसे 68 ट्विटर खातों को ब्लॉक करने और उनके संचालकों का ब्योरा बताने को कहा था। उसके बाद 24 प्रोफाइल बंद हैं और 57 ट्वीट्स भी डिलीट कर दिए गए हैं।
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इनमें से कई ट्विटर हैंडल भाजपा, उसके नेताओं और उनकी विचारधारा के आलोचक रहे हैं। इनको चलाने वालों में पत्रकारों के अलावा ऐसे लोग भी शामिल हैं जो कांग्रेस, युवा कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और एआईएमआईएम से जुड़े होने का दावा करते हैं।
क्या है मामला
पिछले महीने दुर्गा पूजा के दौरान बांग्लादेश में कई पूजा पंडालों पर हमले, तोड़-फोड़ और आगजनी की गई थी। इन घटनाओं में कुछ लोगों की मौत हो गई थी।
उसी घटना के विरोध में त्रिपुरा में विश्व हिंदू परिषद की ओर से एक रैली का आयोजन किया गया था। आरोप है कि उस दौरान अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों और मस्जिदों पर हमले और आगजनी की गई।
हालांकि पुलिस और सरकार ने इन घटनाओं को सिरे से खारिज कर दिया, लेकिन सोशल मीडिया पर इन घटनाओं की कथित तस्वीरें वायरल हो गईं।
उसके बाद पुलिस ने कई लोगों के खिलाफ झूठी तस्वीरें और वीडियो अपलोड करने के मामले गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया था। इनमें से कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया गया। इनमें दिल्ली के एक मीडिया संगठन की दो महिला पत्रकार भी शामिल थीं।
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29 अक्टूबर को राज्य सरकार ने आरोप लगाया था कि बाहर से आए निहित स्वार्थ वाले एक समूह ने 26 अक्टूबर की घटना के बाद सोशल मीडिया पर जलती हुई एक मस्जिद की फर्जी तस्वीरें अपलोड करके त्रिपुरा में अशांति पैदा करने और प्रशासन की छवि खराब करने के लिए साजिश रची।
पड़ोसी बांग्लादेश में साम्प्रदायिक हिंसा के विरोध में विश्व हिंदू परिषद की ओर से आयोजित रैली के दौरान 26 अक्टूबर को कथित तौर पर एक मस्जिद में तोडफ़ोड़ की गई और दो दुकानों में आग लगा दी गई थी।
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया था, “हमने गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत 102 सोशल मीडिया अकाउंट पोस्ट पर कड़ी कार्रवाई की है। इसमें 68 ट्विटर, 31 फेसबुक और दो यूट्यूब अकाउंट शामिल हैं। हमने इन प्लेटफॉर्म से कहा है कि वो अकाउंट चलाने वालों की जानकारी दें और आपत्तिजनक व फर्जी पोस्ट को हटाने के लिए कदम उठाएं।”
पीसीआई चिंतित
इस सप्ताह त्रिपुरा हिंसा कवर कर रहीं दो महिला पत्रकारों समृद्धि सकुनिया और स्वर्णा झा को गिरफ्तार कर लिया गया था। यह गिरफ्तारी विहिप की शिकायत के बाद दर्ज की गई थी, लेकिन त्रिपुरा की एक स्थानीय अदालत ने अगले दिन ही दोनों पत्रकारों को जमानत दे दी।
उनकी रिहाई के बाद सूचना व सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सुशांत चौधरी ने आरोप लगाया है कि दोनों महिला पत्रकार राजनीतिक दल की एजेंट हैं। मंत्री का कहना है कि दोनों महिला पत्रकारों का मकसद राज्य में अशांति फैलाना था। इसी वजह से उन्होंने फर्जी तस्वीरें और खबरें वायरल की थीं।
इस बीच, भारतीय प्रेस काउंसिल (पीसीआई) ने भी दो महिला पत्रकारों की गिरफ्तारी का संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से इस मामले में रिपोर्ट मांगी है। पीसीआई ने इन गिरफ्तारियों पर गहरी चिंता जताई है।