Sunday - 27 October 2024 - 11:19 PM

E-FIR की ओर बढ़ा रुझान, तेजी से बढ़ रहा आंकड़ा

जुबिली पोस्ट ब्यूरो

लखनऊ। लूटपाट, चोरी, गुमशुदगी की एफआईआर कराने को थाने-चौकी के चक्कर काटना और मुंशी-दीवान से सिफारिश कराना अब पुराना हो गया है। डिजिटल इंडिया के दौर में आम जनता का रुझान ई-एफआईआर की ओर तेजी से बढ़ा है।

यूपी पुलिस की वेबसाइट और यूपी कॉप एप से घर या ऑफिस में बैठे-बैठे ऑनलाइन दर्ज कर रहे एफआईआर, बीते आठ महीने में लखनऊ के विभिन्न थानों में 300 से ज्यादा लोगों ने ई-एफआईआर दर्ज कराई

एप्प की उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए बनाया जरूर गया था। लेकिन अभी भी कई ऐसे कार्य है, जो पुलिस की रजामंदी के बगैर संभव नहीं है। इस एप्प को यूपी की जनता को पिछले महीने ही सौंपा गया था, ताकि वे पुलिस के बिना चक्कर काटे घर बैठे ही अपने सारे काम निपटा सके, लेकिन ऐसा संभव हो नहीं पाया और पुलिस की इस टेक्नोलॉजी को भी नजर लग गयी।

इस ऑनलाइन सिस्टम ने थानों में चल रही मनमानी बंद कर दी है। अब एफआईआर करवाने के लिए आपको न किसी की सिफारिश की जरूरत है, न किसी से गुहार लगाने या सुविधा शुल्क देने की जरूरत है। सिर्फ एक क्लिक पर कोई भी किसी भी जगह से अपनी एफआईआर, शिकायत या सूचना दर्ज करा सकता है।

एसएसपी कलानिधि नैथानी ने बताया कि ई-एफआईआर बेहद आसान और सामान्य प्रकिया है। इसने आम जनता के तमाम झंझट खत्म कर दिए हैं। पहले लूटपाट या चोरी के शिकार या साइबर अपराध के पीड़ितों को थाने जाना पड़ता था। पुलिस उन्हें टरकाती थी।

सूचना दर्ज करने के एवज में सुविधा शुल्क मांगती थी। उनका वक्त और पैसा दोनों बर्बाद होता था, लेकिन अब थाना जाने की जरूरत नहीं है। यूपी पुलिस की वेबसाइट और यूपी कॉप एप के माध्यम से घर या ऑफिस में बैठे-बैठे ऑनलाइन एफआईआर दर्ज कराई जा रही है।

बीते आठ महीने में राजधानी के विभिन्न थानों में 300 से ज्यादा लोगों ने ई-एफआईआर दर्ज कराई है और यह आंकड़ा रोजाना तेजी से बढ़ रहा है।

एसएसपी ने बताया कि ऑनलाइन सिस्टम में कई अन्य सुविधाएं भी दी जा रही हैं। पहले लोग चरित्र प्रमाणपत्र के लिए पुलिस ऑफिस के चक्कर लगाते थे, जहां उनसे सुविधा शुल्क मांगा जाता था। अब वे ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

पुलिस आवेदकों के घर आकर उनका सत्यापन करेगी और ऑनलाइन ही प्रमाणपत्र जारी होगा। इसके अलावा किरायेदारों, कर्मचारियों और घरेलू नौकरों के सत्यापन का काम भी ऑनलाइन ही किया जा रहा है। यही नहीं, कोई व्यक्ति किसी पुलिसकर्मी के खराब व्यवहार का शिकार है तो वह भी ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकता है।

अज्ञात बदमाशों के खिलाफ ही ई-एफआईआर

साइबर सेल के नोडल अधिकारी सीओ हजरतगंज अभय कुमार मिश्रा की माने तो ई-एफआईआर सिर्फ ऐसे मामलों में ही दर्ज होती है, जिसमें बदमाश अज्ञात होते हैं। किसी के घर पर चोरी या नकबजनी, किसी के साथ पर्स व चेन लूट हुई है, किसी का वाहन चोरी हो गया है या लूट लिया गया है, कोई व्यक्ति गायब हो गया है या फिर किसी को साइबर अपराधियों ने ठग लिया है, ऐसे मामलों में ई-एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है।

फिसड्डी थानों से मांगा गया स्पष्टीकरण

ई-एफआईआर दर्ज करने में मोहनलालगंज, अमीनाबाद और काकोरी फिसड्डी साबित हुए। तीनों में आठ महीने के दौरान मात्र एक-एक ऑनलाइन एफआईआर ही दर्ज की जा सकी है। इसके अलावा सरोजनीनगर, वजीरगंज, बंथरा, गौतमपल्ली और कैंट में दो- दो मामले दर्ज हुए, जबकि गोसाईंगंज और सआदतगंज में तीन- तीन मुकदमे लिखे गए। फिसड्डी थानेदारों से तीन दिन में स्पष्टीकरण मांगा है।

ई-एफआईआर में विभूतिखंड अव्वल

ई-एफआईआर दर्ज करने में विभूतिखंड थाना पहले नंबर पर है। यहां आठ माह में 47 मामले दर्ज किए गए हैं। दूसरे नंबर पर गोमतीनगर थाना है, जहां 21 ई-एफआईआर लिखी गई हैं। तीसरे पायदान पर गुडंबा थाना है, जहां 16 रिपोर्ट हैं। गाजीपुर और अलीगंज थानों में 15- 15 मामले दर्ज हुए हैं। चिनहट, इंदिरानगर और कृष्णानगर में 14- 14, हजरतगंज में 11 व चौक और महानगर थानों में 10-10 केस ऑनलाइन दर्ज हुए हैं।

ई-एफआईआर आम जनता की सुविधा के लिए शुरू किया गया बेहतरीन सिस्टम है। इससे पुलिस की छवि भी बेहतर होगी। यही वजह है कि मैंने सभी थानेदारों को ज्यादा से ज्यादा ई-एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। इसकी मैं रोजाना खुद मॉनीटरिंग भी कर रहा हूं।
– कलानिधि नैथानी, एसएसपी

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