जुबिली न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 100 साल या उससे अधिक पुराने पेड़ों को इस माह के अन्त तक विरासत वृक्ष घोषित किया जाएगा। इस बारे में प्रदेश के सभी 75 जिलों के प्रभागीय वनाधिकारियों ने अपने क्षेत्र के तहत आने वाले 100 साल पुराने पेड़ों की पड़ताल कर उसके प्रस्ताव उत्तर प्रदेश जैव विविधता बोर्ड को भेज दिया है।
बोर्ड की तकनीकी समिति ने सभी प्रस्तावों की जांच शुरू कर दी है। इसके पूरा होते ही राज्य के विरासत वृक्षों की सूची जारी कर दी जाएगा। इससे प्रदेश में इको टूरिज्म को पंख लग सकेंगे। अब तक प्राप्त करीब 1500 से अधिक विरासत वृक्षों की सूची तैयार की जा चुकी है।
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वर्ष 2019 में प्रदेश भर में एक दिन में रिकार्ड 20 करोड़ पौधे लगाए गए थे। उस पौधरोपण कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वन अधिकारियों से अपील की थी कि वे 100 साल या उससे पुराने वृक्षों की पहचान करें और उसे विरासत वृक्ष घोषित करें ताकि प्रदेश में ईको टूरिज्म को बढ़ावा मिल सके। ऐसे विरासत वृक्षों की देखभाल की जाए जिससे जैव विविधता को बढ़ावा मिल सके।
मुख्यमंत्री की अपील को गम्भीरता से लेते हुए वन विभाग ने इस दिशा में कार्य करना शुरू कर दिया। तय किया गया कि सार्वजनिक भूमि पर स्थित ऐसे पेड़ों को उत्तर प्रदेश जैव विविधता बोर्ड विरासत वृक्ष घोषित करेगा जबकि वन भूमि पर खड़े ऐसे पुराने पेड़ों को प्रभागीय वनाधिकारी (डीएफओ) विरासत वृक्ष घोषित करेगा। ऐसे वृक्षों की पूरी सूची तैयार होने के बाद उसे एक काफी टेबल बुक का रूप दिया जाएगा।
घोषित विरासत वृक्षों की देखभाल यानि संरक्षण-संवर्द्धन व रखरखाव का कार्य डीएफओ के जिम्मे होगी लेकिन अगर वह वृक्ष नगर पालिका या नगर निगम क्षेत्र में होगा तो यह जिम्मेदारी उसी स्थानीय निकाय की होगी।
अगर किसी सरकारी विभाग के जमीन पर वह पेड़ होगा तो वह विभाग उस वृक्ष की देखभाल व स्थलीय विकास करेगा। इसके अलावा अन्य स्थानों के ऐसे पुराने पेड़ों की देखभाल ग्रामीण क्षेत्र में है तो ग्राम सभा करेगी या फिर स्थानीय स्तर पर बनी जैव विविधता प्रबन्ध समिति उनके संरक्षण एवं संवर्द्धन करेगी।
उत्तर प्रदेश जैव विविधता बोर्ड के सचिव पीके शर्मा की माने तो अब तक प्राप्त प्रस्तावों में से कुछ में तकनीकी गड़बड़ियां हैं जिसे वापस भेजकर दुरुस्त कराया जा रहा है। जैसे ही यह तकनीकी गड़बड़ी ठीक होगी तत्काल बाद विरासत वृक्षों की सूची जारी कर दी जाएगी।
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