जुबिली न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया में कोरोना को खत्म करने वाली दवा की खोज की जा रही है। तमाम जगहों से तरह- तरह से इलाज करने का दम भरा जा रहा है। कई ऐसे देश भी है जहां दवा से इलाज में सफलता भी मिलने की खबरें सामने आयी है।
लेकिन भारत में तरह- तरह के देशी नुस्खे कोरोना को मात देने में काफी अहम भूमिका निभाते नजर आ रहे है। कई देश बड़े-बड़े शोध व क्लीनिकल ट्रायल कर रहे हैं तो वहीं भारत को अपनी प्राचीन आयुर्वेद परंपरा पर ही भरोसा है। जिसका जीता जागता एक और उदहारण मिल गया है।
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यूपी की राजधानी लखनऊ के लोकबंधु अस्पताल में चल रही कोरोना के खिलाफ जंग के लिए सोंठ पाउडर-लहसुन व काढ़ा आधारित स्टडी को अब क्लीनिकल ट्रायल रजिस्ट्रेशन-इंडिया (CTRI) ने अनुमति दे दी है।
अब कोरोना मरीजों पर क्लीनिकल ट्रायल किया जा सकेगा। वैश्विक महामारी को मात देने के लिए सीटीआरआई के इस कदम को बहुत बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है। लोकबंधु अस्पताल की एथिक्स कमेटी ने शुरुआती स्टडी पर अपनी मुहर लगाते हुए इसे सीटीआरआई के पास अप्रूवल के लिए भेजा था।
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लोकबंधु अस्पताल में आयुर्वेद विधा से कोरोना मरीजों पर स्टडी कर रहे डॉक्टर आदिल रईश का मानना है कि अब तक 46 मरीजों पर यह प्रयोग किया जा चुका है। इनमें से आधी संख्या में मरीजों को सोंठ पाउडर व लहसुन दिया गया। जबकि आधे मरीजों को सिर्फ विशेष प्रकार का काढ़ा दिया गया।
दोनों के ही शुरुआती परिणाम अच्छे मिले हैं। हालांकि सोंठ व लहसुन लेने वाले मरीज काढ़ा पीने वालों की तुलना में जल्द स्वस्थ हो रहे हैं। दोनों विधाओं से 45 मरीज ठीक हो चुके हैं। वहीं अब तक इसमें कुल 70 मरीज रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं।
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डॉक्टर के मुताबिक कोरोना या अन्य कोई बीमारी होने पर मरीज की जठराग्नि मंद हो जाती है। इससे उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी घटने लगती है, लेकिन गर्म पानी में सोंठ का पाउडर सुबह-शाम पीने व एक दो पीस दिन में दो बार कच्चा लहसुन चबाकर खाने से मंदाग्नि तेज हो जाती है। इससे मरीज को भूख लगती है।
तब वो जो कुछ भी खाता है, उसका पाचन होने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने लगती है। ऐसे में एंटीबॉडी भी तेजी से बनती है। फलस्वरूप कोरोना से जंग जीतना आसान हो जाता है। काढ़ा भी मरीजों को सुबह- शाम पिलाने से शरीर की इम्युनिटी बढ़ती है।
लोकबंधु अस्पताल के निदेशक डॉ. डीएस नेगी के मुताबिक सीटीआरआई ने क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति दे दी है। अब करीब 120 मरीजों पर ट्रायल करने के बाद इस स्टडी को ICMR के पास भेजा जाएगा।
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