Tuesday - 29 October 2024 - 1:14 PM

कोरोना काल में पटरी से उतरा परिवहन कारोबार

  • लडख़ड़ाती अर्थव्यवस्था और कोरोना से लड़ रहा है देश
  • परिवहन कारोबार पर पड़ी कोरोना की मार
  • ट्रक परिवहन सेवा व्यवसाय में 35, 200 करोड़ का नुकसान
  • कोरोना : 90 फीसदी से अधिक ट्रक सडक़ों से गायब है
  • ऑटो-ई रिक्शा, ओला-उबर को उठाना पड़ रहा है नुकसान

सैय्यद मोहम्मद अब्बास

देश में कोरोना वायरस पहले की तुलना में ज्यादा खतरनाक हो गया है। कोरोना ने इंसानी जिदंगी को भी खतरे में डाल दिया है। कोरोना से बचने के लिए बार-बार लॉकडाउन को बढ़ाना भी सरकार की मजबूरी बनता जा रहा है लेकिन लॉकडाउन की वजह देश की आर्थिक स्थिति लगातार चौपट हो रही है।

कोरोना काल में परिवहन, होटल, पर्यटन समेत तकरीबन दो लाख से ज्यादा कारोबारियों, छोटा काम-धंधा करने वालों लोगों की हालत पस्त होती नजर आ रही है। आलम तो यह है कि लडख़ड़ाती अर्थव्यवस्था को लेकर अब सरकार भी काफी चिंता में नजर आ रही है। कोरोना काल में परिवहन कारोबार भी पटरी से उतर गया है।

ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) ने हाल में ही एक बयान जारी किया और बताया था कि लॉकडाउन के दौरान हर रोज एक ट्रक का 2,200 रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसी आधार पर ट्रक परिवहन सेवा व्यवसाय में पहले 15 दिन का नुकसान करीब 35,200 करोड़ रुपये आंका जा रहा है।

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ट्रांसपोर्ट व्यवसाय पिछले साल से ही मंदी की गिरफ्त में था

इस तरह से देखा जाये तो 30 दिन के लॉकडाउन में यही आंकड़ा बढक़र 70,400 करोड़ रुपये होने की बात कही जा रही है। कोरोना की वजह से 90 फीसदी से अधिक ट्रक सडक़ों से गायब है।

बता दें कि एआईएमटीसी 93 लाख ट्रांसपोर्टर और ट्रक चालकों का प्रतिनिधित्व करता हैं। अगर लॉकडाउन खुल भी जाता है तब भी ट्रांसपोट बहाल होने में काफी समय लग सकता है।

वहीं यूपी परिवहन निगम को भी अच्छा खासा नुकसान हो रहा है। कहा जा रही है कि अगर 30 फीसद क्षमता पर बसों का संचालन हुआ तो इससे परिवहन निगम को हर महीने 200 से 250 करोड़ रुपये का नुकसान होना तय माना जा रहा है।

बात अगर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की जाये तो यहां का परिवहन कारोबार भी संघर्ष करता नजर आ रहा है। जानकारी के मुताबिक हर दिन करीब 35 लाख का नुकसान होने की बात कही जा रही है।

ऑटो-ई रिक्शा, ओला-उबर संचालकों की मुश्किले कम होने का नाम नहीं ले रही है। जानकारी के मुताबिक इस सेक्टर में आमदनी और ऑक्यूपेंसी में 50 से 60 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। इस वजह से कर्मचारियों को वेतन में 25 फीसदी कटौती भी की गई है। इतना ही नहीं इससे जुड़े लोगों की नौकरी पर संकट आ गया है।

उधर लखनऊ ऑटो रिक्शा थ्री व्हीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज दीक्षित ने जुबिली पोस्ट से बातचीत में कहा कि कोरोना काल ने ऑटो रिक्शा थ्री व्हीलर्स कमर तोड़ दी है।

उन्होंने बताया कि लॉकडाउन की वजह से शहर के हजारों ऑटो मालिक और चालक बेरोजगार हो गए है। उन्होंने कहा राजधानी में 16 हजार ऑटो चलते हैं। ऐसे में ऑटो रिक्शा का धंधा चौपट हो गया और रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है।

हालांकि उन्होंने बताया कि सरकार ने हाल में चालकों के खाते में एक हजार रुपये डाले हैं। उन्होंने बताया कि एसोसिएशन ने सरकार को चालकों को डेटा दिया था। इसमें से करीब 2600 चालकों के खाते में पैसे भी आए है।

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उन्होंने बताया कि ई रिक्शा के चालकों की भी उनकी एसोसिएशन ने मदद की है। पंकज ने बताया कि करीब 300 चालकों को सरकार की तरफ से मदद दी गई है। उन्होंने कहा कि ऑटो रिक्शा थ्री व्हीलर्स को बहाल करने के लिए सरकार से बातचीत हो रही है और आने वाले समय में कुछ छूट के साथ सडक़ पर फिर से ये दौड़ सकती है।

उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान अच्छा-खासा नुकसान हो चुका है और इसकी भरपाई रातों-रात नहीं की जा सकती है। किराया बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है।

उनके अनुसार साल 2014 से किराया नहीं बढ़ाया गया लेकिन कोरोना काल ने सबका बुरा हाल है। ऐसे में अगर सरकार सभी ऑटो में फेयर मीटर लगवा दे दो बेहतर होगा। ऐसे करने से किराया और सोशल डिस्टेंस का पालन भी होगा। लखनऊ ऑटो रिक्शा टैक्सी संघ के अध्यक्ष पंकज दीक्षित ने बताया कि प्रशासन और मेट्रो के अधिकारियों के साथ भी बहुत जल्द बैठक हो सकती है।

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राजधानी लखनऊ में क्या है परिवहन सेवा का हाल

ऑटो रिक्शा टैक्सी संघ के अनुसार राजधानी लखनऊ में 4545 ऑटो है और करीब दो लाख से ज्यादा लोग इससे सफर करते हैं जबकि 20 हजार ई रिक्शा है। लखनऊ की तंग गलियों में ई रिक्शा ज्यादा चलता है। जानकारी के मुताबिक 2.5 लाख लोग रोज इससे सफर करते हैं। लखनऊ की सडक़ों पर ओला-उबर भी खूब चलते हैं। आठ हजार से ज्यादा वाहन लखनऊ में है और करीब 20 हजार लोग इससे अपना सफर तय करते हैं।

दूसरी ओर लोग सिटी बस पर भी खूब सफर करते हैं। लखनऊ के 31 रूट पर सिटी बस चलती है। जाकनारी के मुताबिक 180 सिटी बसे लखनऊ में मौजूद है और करीब 25 हजार लोग इससे जाना-आना पसंद करते हैं।

 

वहीं लखनऊ में जब से मेट्रो आई है तब से लोग इसे और साधनों से सुरक्षित मानते हैं। मेट्रो से मिली जानकारी के अनुसार लखनऊ में 21 किलोमिटर का मेट्रो का रूट है और सैकड़ो लोग इससे सफर करते हैं।

कुल मिलाकर देखा जाये तो कोरोना की वजह से हर कोई परेशान है और उसे भारी नुकसान भी उठाना पड़ रहा है। अब देखना होगा कि लॉकडाउन-4 में सरकार क्या परिवन कारोबार को राहत देती है या नहीं।

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