जुबली पोस्ट ब्यूरो
वर्तमान सत्र में तबादलों को ले कर यूपी के स्वास्थ्य विभाग में मचा हड़कंप अभी थमा नहीं था कि वित्त विभाग में भी तबादलों को ले कर एक बड़ा मामला सामने आ गया है।
इस मामले का खुलासा खुद सहकारी समितियां एवं पंचायतें के मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी ने किया है। उन्होंने विभाग के संयुक्त मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी पद्म जंग को एक चिट्ठी लिखी है जिसमे कहा गया है कि एक ट्रांसफर आर्डर में उनके फर्जी हस्ताक्षर दर्शाए गए हैं।
यह है मामला
शासन के पत्र संख्या 1- 561 -दस- 2019- 320 -2 /2018 दिनांक 18 जून 2019 के अनुसार पद्म जंग संयुक्त मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी को स्थानांतरण समिति का अध्यक्ष नामित करते हुए दो मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी समिति के सदस्य बनाए गए थे । शासनादेश के अनुसार समिति स्थानांतरण नीति के अनुरूप परीक्षण करते हुए स्थानांतरण पर अपनी संस्तुति शासन को उपलब्ध कराएगी और शासन के अनुमोदन के बाद मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी स्थानांतरण आदेश निर्गत करेंगे जबकि मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी के पद नाम पर फर्जी हस्ताक्षर बनाकर स्थानांतरण आदेश निर्गत किए गए।
इस संबंध में मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी ने अध्यक्ष ,स्थानांतरण समिति को पूरे तथ्य से अवगत कराते हुए कार्यालय संख्या 2106-07 दिनांक 9.07.2019 को उनसे स्पष्टीकरण मांगा और आवश्यक कार्रवाई हेतु सचिव उत्तर प्रदेश शासन को पत्र की प्रतिलिपि भी दी है।
वित्त विभाग की तबादला नीति तब चर्चा में आयी थी जब शासन के निर्देश पर मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी सहकारी समितियां एवं पंचायतें में विभाग के मुखिया अवनीन्द्र दीक्षित को दरकिनार कर के संयुक्त मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी पद्म जंग की अध्यक्षता में दो उप मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारियों को सदस्य नामित करते हुए कमेटी का गठन कर दिया गया था।
शासन के निर्देशानुसार समिति स्थानांतरण नीति के अनुरूप परीक्षण करते हुए संस्तुति शासन को उपलब्ध कराएगी और अनुमोदन के बाद मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी के हस्ताक्षर से स्थानांतरण आदेश दिए जाने थे परंतु स्थानांतरण आदेश कूटरचित ढंग से मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर से जारी कर दिए गए।
विभाग के मुखिया को दरकिनार कर स्थान कमेटी बनाई जाने का मामला उठाया था।
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सूत्र बताते हैं कि गत वर्ष से ही मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी से स्थानांतरण प्रमोशन आदि सभी कार्य से मुक्त करते हुए शासन ने अधिकार अपने पास ले रखा है और विभाग के कुछ कर्मचारी नाम न छपने की शर्त पर यह बताते हैं कि कुछ वरिष्ठ अधिकारियों की सांठगांठ से नियम विरुद्ध कार्य किए रहे हैं ।
चर्चा यह भी है कि 15 वर्षों से मुख्यालय में जमे लिपिकों के स्थानांतरण पर समिति ने कोई कार्यवाही नहीं की बल्कि हमेशा की तरह उन पर अनुकंपा बनाए रखी। मुख्यालय के लिपिक जनपदों के कर्मचारियों के प्रमोशन ट्रांसफर और जांच आदि में काम कराने के लिए पैसा लेने का माध्यम बनते हैं और जनपद के अधिकारी कर्मचारी बहुत त्रस्त है लेकिन इसके बावजूद वह मुंह नहीं खोल पा रहे हैं। डर इस बात का है कि ऐसा करने पर शासन से कोई कार्रवाई हो जाएगी ।
वित्त विभाग के अधिकारीयों की मनमानी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक उप मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी के एक मामले में दोषी पाए जाने के बाद भी स्थानांतरण न करके एक संस्था का अलग से चार्ज देकर पुरस्कृत कर दिया।
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मुख्यमंत्री योगी जहां स्थान में पारदर्शिता और भ्रष्टाचार दूर कर रहे हैं वहीं विभाग के ट्रांसफर फर्जी आदेश से जारी किया जाना और शासन का कोई भी कदम न उठाना, उनके इस मुहिम को पलीता लगा रहा है।